मेसोपोटामिया फी सम्यात मे मुहर एक शरी शिल्प
कृति थी, समझाये
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भारत में, प्राचीन काल में पत्थर की मोहरें होती थीं जिनपर चिन्ह अंकित किए गए होते थे। लेकिन मेसोपोटामिया में, पहली शताब्दी ई-पू- के अंत तक पत्थर की बेलनाकर मोहरें, जो बीच में आर-पार छिदी होती थीं, एक तीली लगाकर गीली मिट्टी के ऊपर घुमाई जाती थीं और इस प्रकार उनसे लगातार चित्र बनता जाता था मेसोपोटामिया का यूनानी अर्थ है "दो नदियों के बीच"। यह इलाका दजला (टिगरिस) और फ़ुरात (इयुफ़्रेटीस) नदियों के बीच के क्षेत्र में पड़ता है। इसमें आधुनिक इराक़ बाबिल ज़िला, उत्तरपूर्वी सीरिया, दक्षिणपूर्वी तुर्की तथा ईरान का क़ुज़ेस्तान प्रांत के क्षेत्र शामिल हैं। यह कांस्ययुगीन सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है। यहाँ सुमेर, अक्कदी सभ्यता, बेबीलोन तथा असीरिया के साम्राज्य अलग-अलग समय में स्थापित हुए थे। हड़प्पा सभ्यता में मेसोपोटामिया को 'मेलुहा' कहा गया है।
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Mesopotamia ke nagron ki samajik vyavastha ki vivechana kijiye