Hindi, asked by naitik55678, 2 months ago

ગાક્ષ ક मे सासमानार्थी शब्दों 1 चरण​

Answers

Answered by Anonymous
0

Answer:

जैन दर्शन में गुण स्थान, उन चौदह चरणों के लिए प्रयोग किया गया हैं जिनसे जीव आध्यात्मिक विकास के दौरान धीरे-धीरे गुजरता है, इससे पहले कि वह मोक्ष प्राप्त करें। जैन दर्शन के अनुसार, यह पुद्गल कर्मों पर आश्रित होने से लेकर उनसे पूर्णता पृथक होने तक आत्मा की भाव दशा हैं। यहाँ शब्द के आधार पर इसका मतलब एक साधारण नैतिक गुणवत्ता नहीं है, अपितु यह आत्मा की प्रकृति — ज्ञान, विश्वास और आचरण के लिए उपयोग किया गया है।

दर्शन, मोहनीय आदि कर्मों के उदय, उपशम, क्षयोपशम और क्षय के निमित्त से होनेवाले जीव के आंतरिक भावों को गुणस्थान गुणस्थान कहते हैं (पंचसंग्रह, गाथा ३)। गुणस्थान, १४ हैं। चौथे कर्म मोहनीय को कर्मों का राजा कहा गया है। दर्शन और चरित्र मोहनीय के भेद से दो प्रकार के हैं। प्रथम दृष्टि या श्रद्धा को और दूसरा आचरण को विरूप देता है। तब जीवादि सात तत्वों और पुण्य पापादि में इस जीव का विश्वास नहीं होता और यह प्रथम (मिथ्यात्व) गुणस्थान में रहता है। दर्शन मोहनीय और अनंतानुबंधी क्रोध-मान-माया-लोभ के उपशम या क्षम से सम्यकत्व (चौथा गुणस्थान) होता है। श्रद्धा के डिगने पर अस्पष्ट मिथ्यात्व रूप तीसरा (सासादन) और मिली श्रद्धा रूप तीसरा (मित्र) गुणस्थान होता है। सम्यक्त्व के साथ आंशिक त्याग होने पर पाँचवाँ (देशविरत) और पूर्ण त्याग होने पर भी प्रसाद रहने से छठा (प्रमत विरत) तथा प्रमाद हट जाने पर सातवाँ (अप्रमत्त विरत) होता है। संसारचक्र में अब तक न हुए शुभ भावों के होने से आठवाँ (अपूर्वकरण) तथा नौवाँ (अनिवृत्तिकरण) होते हैं। बहुत थोड़ी लोभ की छाया शेष रहने से दसवाँ (सूक्ष्मसांपराय) और मोह के उपशम अथवा क्षय से ११वाँ (उपरांत मोह) या १२वाँ (क्षीण मोह) होता है। कैवल्य के साथ योग रहने से १३वाँ (संयोग केवली) और योग भी समाप्त हो जाने से १४वाँ (अयोग केवली) होता है और क्षणों में ही मोक्ष चला जाता है।

Answered by GlimmeryEyes
2

Answer:

समानार्थक शब्द। समान अर्थ को प्रकट करने वाला शब्द। समान अर्थ का वाचक शब्द। समानार्थवाची शब्द। पर्यायवाची 2. परम्परा। क्रम। सिलसिला। अनुक्रम। 3. प्रकार। भेद। तरह। ढंग। 4. प्रणाली। व्यवस्था। 5. सदृश। समान। बराबर। 6. तरीका। प्रक्रिया की प्रणाली। रीति। 7. एक प्रकार का अलंकार(अर्थालंकार) जिसमें एक वस्तु अनेक आश्रय ग्रहण करता है। घुमाफिरा कर कहना।

Similar questions