Hindi, asked by rupinderkaur3607, 1 year ago

मोसम की मार झेल रहे है किसानों की कठिनायियों पर report in two pages

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Answered by Aniketastronaut
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मेरठ : कई दिनों से हो रही बेमौसम बरसात ने खादर क्षेत्र के लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। उनकी गेहूं की फसल भी बर्बादी के कगार पर है और अगेती सरसों की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है। वहीं बांगर क्षेत्र के किसानों को बरसात का लाभ हो रहा है।

पिछले तीन वषरें से गंगा नदी के कहर से खादर क्षेत्र के गांव खेड़ी कला, बधुआ, मकदूमपुर, किशोरपुर, जलालपुर, बस्तौरा, सिरजेपुर व शेरपुर समेत दो दर्जन गांवों के किसान बर्बाद हैं। अब उन्हें कुछ गेहूं व सरसों की फसल के सीजन में आर्थिक स्थिति मजबूत होने की आस जगी थी, लेकिन बेमौसम बरसात ने उन्हें उजाड़ कर रख दिया है। भीकुंड, किशनपुर, लतीफपुर, मनोहरपुर गांव केकिसानों का और भी बुरा हाल है। इसके बीच सोती नदी में गत वर्ष आई भयंकर बाढ़ में इस नदी में भारी मात्रा में सिल्ट जमा हो गई थी और इस सिल्ट पर घास फूस उगने से उसमें पानी की निकासी दूभर हो गई। बरसात का पानी गंगा में न जाकर खेतों में ही भर रहा है। इससे गेहूं की फसल बर्बादी के कगार पर पहुंच गई है। किसानों का कहना है कि गत वर्ष भी बरसात से उनकी फसल नष्ट हो गई थी। आरोप है कि प्रशासन भी उनकी समस्या नहीं सुन रहा है।

Answered by purshoutam
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महाराष्ट्र के बीड़ के किसानों ने बारिश कम होने के कारण होने वाले नुकसान के लिए मौसम विभाग पर मुकदमा दर्ज कराया है.

मौसम विभाग ने कहा था कि हर जगह बारिश हो गई है. लेकिन विदर्भ और मराठवाड़ा के कई हिस्सों में पिछले कई दिन से धूप है. इसलिए किसान ने पहली बारिश मे जो बीज बोया था. वो खराब होने लगा है. गुस्साये किसानों ने बीड़ में मौसम विभाग के खिलाफ रिपोर्ट लिखा दी है.

किसानों की माने तो बीज बेचने वाली कंपनी और खाद बेचने बनाने वाली कंपनी के साथ मिलकर मौसम विभाग ने प्रदेश में अच्छी बारिश की झूठी भविष्यवाणी की. जिसके कारण कर्ज में डूबे किसानों ने दूसरा कर्ज उठाकर खेत में जुताई और बुआई कर दी. लेकिन पिछले 10 दिनों से ज्यादा समय से बारिश ना होने के कारण अब फसलें खराब हो गई. किसानों को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ गया है.

हालांकि मौसम विभाग के अधिकारी की माने तो सैटेलाइट से आने वाले पिक्चर को देखने के बाद ही पूर्वानुमान किए जाते है. उसका साइंटिफिक तरीके से आकलन करने के बाद ही कहा जाता है. इसमें एक साल पहले के और इस मौसम के शुरू होने से पहले के आंकड़ों को भी देखा जाता है. लेकिन कई बार बारिश होना, उस मौसम में चल रही हवाओं पर बहुत हद तक निर्भर करता है.

वैसे भी महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में मानसून ज्यादा अच्छा नहीं रहता है. अगर बारिश आएगी भी तो वो जुलाई और अगस्त के महीने में आने की उम्मीद रहेगी.

लेकिन किसानों के दर्द को समझते हुए अब पर्यावरण मंत्री मौसम विभाग पर ही सवाल खडा कर रहे हैं. महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री रामदास कदम की माने तो बिना सोचे समझे इस तरीके का पूर्वानुमान देना नहीं चाहिए. इससे किसान परेशान हो जाते हैं.

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