मुंशी प्रेमचंद जी का भाव पक्ष और कला पक्ष लिखिए
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कविता का सीधा सम्बन्ध हृदय से होता है। कविता में कही गई बात का असर तेज और स्थायी होता है। कविता के दो पक्ष होते हैं। आन्तरिक यानि भाव पक्ष और बाह्य यानि कला पक्ष। सर्वप्रथम कला पक्ष पर विचार करें। कविता को मर्मस्पर्शी बनाने में सार्थक ध्वनि समूह का बड़ा महत्व है। विषय को स्पष्ट और प्रभावशाली बनाने में शब्दार्थ योजना का बड़ा महत्व है। शब्दों का चयन कविता के बाहरी रूप को पूर्ण और आकर्षक बनाता है। कवि की कल्पना शब्दों के सार्थक और उचित प्रयोग द्वारा ही साकार होती है। अपनी हृदयगत भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए कवि भाषा की अनेक प्रकार से योजना करता है ओर इस प्रकार प्रभावशाली कविता रचता है। शब्द शक्ति, शब्द गुण, अलंकार लय तुक छंद, रस, चित्रात्मक भाषा इन सबके सहारे कविता का सौंदर्य संसार आकार ग्रहण करता है। लय और तुक कविता को सहज गति और प्रवाह प्रदान करते हैं। लयात्मकता कविता को संगीतमय और गेय बनाती है जिससे कविता आत्मा के तारों को झंकृत कर अलौंकिक आनन्द प्रदान करती है। कविता में तुक का भी अपना एक अलग स्थान हैं जब किसी छन्द के दो चरणों के अन्त में अत्न्यानुप्रास आता है तो उसे तुक कहा जाता है जिसके कारण कविता में माधुर्य और प्रभाव बढ़ जाता है।
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रचनाएँ -
1. पूस की रात ( कहानी ),
2. कफ़न ( कहानी )
3. गोदान ( उपन्यास )
भाषा-शैली
भाषा-
प्रेमचन्द्र जी ने अपनी रचनाओं के लिए हिन्दी - खड़ी बोली का उपयोग किया है । आपकी भाषा सरल, सहज,बोधगम्य एवं व्यवहारिक है । आपने अपनी रचनाओं में अवसरानुकूल उर्दू शब्दों का भी आकर्षक प्रयोग किया है । विषय,भाव,एवं पात्रानुरूप भाषा का प्रयोग आपकी भाषा की सबसे बड़ी विशेषता है। आपकी रचनाओं में मुहावरे तथा लोकोक्तियों की छटा सर्वत्र दिखाई पड़ती है।
शैली -
प्रेमचन्द जी की शैली हिन्दी और उर्दू भाषा की मिश्रित शैली है । आपकी रचनाओं में अनेक शैलियों का प्रयोग हुआ है । उनमें से कुछ शैलियों का विवरण निम्नांकित है -
1. विचारात्मक शैली - इस शैली का प्रयोग आपके निबंध 'कुछ विचार' में देखा जा सकता है ।
2. भावात्मक शैली - आपने कहानी एवं उपन्यास के पात्रों की भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए इस शैली का बड़ी चतुराई के साथ उपयोग किया है ।
3. मनोवैज्ञानिक शैली - आपकी अधिकांश रचनाओं में इस शैली का उपयोग हुआ है । आपने अपनी कहानी( बूढ़ी काकी ) एवं उपन्यासों में पात्रों के मानसिक द्वन्द्व को इसी शैली के माध्यम से उभारा है ।
आपने इन शैलियों के अतिरिक्त विश्लेषणात्मक, अभिनयात्मक एवं व्यंगात्मक शैलियों का भी उपयोग किया है ।
साहित्य में स्थान -
हिन्दी साहित्य के उपन्यास सम्राट , युग प्रवर्तक कहानीकार प्रेमचन्द जी का नए कहानीकारों में विशिष्ट स्थान हैं । आप आधुनिक हिन्दी साहित्य जगत में कहानी -कला को अक्षुण्ण बनाए रखने वाले कहानीकारों में अग्रगणी हैं । plz following and brianlest make plz