प्रश्न1.ननम्नलिखखत गदयांश को ध्यानपूवधक पढ़कर दिए गए प्रत्येक प्रश्न का उत्तर िगभग 20 शलिों में
लिखखए। (2*5=10)
उपवास रखना के वल धार्मयक ववधध-ववधान र्ा कमयकांड का ही अंग नहीं है। उपवास-व्रत भारतीर्
संस्कृनत के पूर्य स्वास््र् के सत्रू हैं। ऋतु-पररवतयन के समर् व्रत इसर्लए रखे िाते हैं कक
बदलते मौसम में कई ककस्म की बीमाररर्ााँ आती हैं। बीमाररर्ों से लड़ने की रोग-प्रनतरोधक
शजतत तभी प्राप्त होगी, िब शारीररक और मानर्सक शुद्धता होगी। इसी से िीवनी-शजतत भी
प्राप्त होती है, जिससे बल व बद्ुधध का बराबर संतुलन बना रहता है।
उपवास के दौरान शरीर के पाचन-संस्थान को पूर्य रूप से ववश्राम र्मलता हैतथा शरीर में
ववद्र्मान परुाने खाद्र् अवशेष और दवूषत पदाथय नष्ट होकर मल के द्वारा बाहर ननकल िाते
हैं। गलत खाद्र् पदाथय ही वविातीर् द्रव्र् र्ानी ववष का काम करते हैं। इस ववष को िब शरीर
रोग द्वारा ननकालने का प्रर्त्न करता हैतो भूख स्वतः समाप्त हो िाती है। अतः उस समर
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abcd
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