मातृभूमि के माथे पर क्या हैकवि मातृभूमि के प्रति अर्पित करना चाहता है
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Answer:तेरा ही नाम गाऊँ।। अर्थ: कवि अपनी मातृभूमि से कहता है कि मेरे माथे का चंदन अर्थात तिलक, छाती अर्थात गले की माला व जीभ अर्थात जुबान पर जो गीत है, वह सब कुछ तुम्हारे नाम का ही हो। मैं सदैव तुम्हारा ही गुणगान करूँ अर्थात कवि अपनी मातृभूमि के प्रति पूर्णत: समर्पित है।
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