India Languages, asked by kiskuchandan0, 3 months ago

मातृभूमि कविता का मूल भाव​

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Answered by bhatiamona
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मातृभूमि कविता का मूल भाव...

‘मातृभूमि’ कविता के माध्यम से कवि मैथिलीशरण गुप्त ने मातृभूमि को साकार रूप देकर उसका वर्णन करने का प्रयत्न किया है।

कवि ने अपनी भारत देश यानि मातृभूमि को भारत माता संबोधित करते हुए उन्हें सिंहासन पर बैठी हुई एक देवी के रूप में चित्रित किया है। उन्होंने देवी द्वारा धारण किए जाने वाले वस्त्र, आभूषणों और शस्त्रों को भारत के अलग-अलग भौगोलिक सौंदर्य वाले क्षेत्रों का प्रतीक बताया है। जहाँ देवी के सर पर मुकुट हिमालय पर्वत के समान है, तो उनका बस नीले आकाश की तरह है। समुद्र उनकी करघनी बनी है और फूल और तारे उनके आभूषण। नदिया उनका  प्रेम रूपी प्रवाह है।

इस तरह कवि ने भारत माता को साकार रूप देकर भारत देश की महिमा का वर्णन करने का प्रयत्न किया है, यही कविता का मूल भाव है।

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