मातृभूमि कविता में किस भाव की झलक दिखाई देती है
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मातृभूमि कविता में कवि अपनी जन्मभूमि को मातृभूमि कहते हैं। इस कविता में कवि अपनी मातृभूमि से विनती करते हैं कि वह उन्हें ऐसा वरदान दे जिसके जरिए वे कभी झूठ ना बोले ना कभी किसी का दिल दुखाए और पढ़ लिखकर अच्छी चीजें सीखते जाए। कवि मातृभूमि से निवेदन करते हुए कहते हैं कि मैं अपने आशीर्वाद से तुम इस संसार को ज्ञान के प्रकाश से भर दो और विरान उजड़ी भूमि को फुलवारी मैं बदल दो।
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Explanation:
मातृभूमि कविता में कवि अपनी जन्मभूमि को मातृभूमि कहते हैं। इस कविता में कवि अपनी मातृभूमि से विनती करते हैं कि वह उन्हें ऐसा वरदान दे जिसके जरिए वे कभी झूठ ना बोले ना कभी किसी का दिल दुखाए और पढ़ लिखकर अच्छी चीजें सीखते जाए। कवि मातृभूमि से निवेदन करते हुए कहते हैं कि मैं अपने आशीर्वाद से तुम इस संसार को ज्ञान के प्रकाश से भर दो और विरान उजड़ी भूमि को फुलवारी मैं बदल दो।