मातृभूमि और स्वर्ग में क्या अंतर है?
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मातृभूमि अपनी भूमि है जहां पर हम पैदा होते हैं
religion के अनुसार after death जिस मनुष्य ने अच्छे कर्म करें है वह स्वर्ग में जाता है । In Muslim religion it is also known as jannat
मातृभूमि और स्वर्ग में बहुत बड़ा अंतर है। मातृभूमि स्वर्ग से भी महान है।
स्वर्ग पाने के लिए तो हमें लाख जतन करने पड़ते हैं, तथाकथित अच्छे कर्म करने पड़ते हैं। पुण्य संचित करने पड़ते हैं, तब जाकर हमें स्वर्ग पूरा जीवन बिता देने के बाद मृत्यु होने पर मिलता है। उसका भी कुछ निश्चित नहीं कि स्वर्ग वास्तव में है या नहीं। या फिर यह एक कपोल कल्पना है।
जबकि मातृभूमि तो अपने आप में ही एक स्वर्ग है। मातृभूमि तो हमारा यथार्थ है। मातृभूमि तो हमें जन्म से ही मिल जाती है, उसके लिए हमें कोई विशेष जतन नहीं करना पड़ता। हम जहां पर जन्म लेते हैं, वही हमारी मातृभूमि है। उसी की गोद में हम पलते-बढ़ते हैं, फलते-फूलते हैं। उसी के आंचल की छाया में हम जीवन के कार्यों को सीखते हैं।
मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। मातृभूमि हमारे साथ हमेशा रहती है। हमें उसे पाने के लिए कोई जतन नहीं करना पड़ता। हम अपनी मातृभूमि की रक्षा करें। उसे सजाएं-सवारें। उसके सम्मान की रक्षा करें। उसकी सुंदरता की रक्षा करें, तो हमारी मातृभूमि ही हमारे लिए स्वर्ग है।
स्वर्ग को हम अपनी मातृभूमि नहीं बना सकते। लेकिन हम अपनी मातृभूमि को अपना स्वर्ग बना सकते हैं। इसलिए स्वर्ग और मातृभूमि में बहुत बड़ा अंतर है। मातृभूमि के सामने स्वर्ग का कोई महत्व नहीं|