"माता का अंचल" पाठ के आधार पर बताइये कि एक आदर्श बालक में
क्या-क्या गुण होने चाहिएँ ?
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'माता का अंचल' पाठ लेखक शिवपूजन सहाय के बालपन से जुड़ी हुई कहानी है। यह कहानी पिता और पुत्र के प्रेम से आरंभ होती है। पुत्र के पिता उससे बहुत प्रेम करते हैं। पुत्र की भोर पिता के साथ आरंभ होकर, रात पिता के साथ ही समाप्त होती है। उसके पिता उसकी हर खुशी का ध्यान रखते हैं। लेखक माता-पिता के स्नेह और शरारतों से भरे अपने बचपन को याद करता है | पिता अपने साथ उसे सुलाते , सुबह जगाते और नहलाते थे | वह पूजा के समय उसे अपने पास बिठाकर शंकर जैसा तिलक लगाते और खुश कर देते थे | पूजा के बाद मछलियों को दाना देने जाते थे | लेखक अपने पिता से बहुत प्यार करते थे |
बच्चे को विपदा के समय अत्यधिक ममता और स्नेह की आवश्यकता थी | लेखक को अपने पिता से बहुत प्यार था लेकिन जब उस पर विपदा आई तो उसे शांति वह प्रेम की छाया अपनी माँ की गोद में मिली वह शायद उसे पिता से प्राप्त नहीं हो पाती | माँ का आंचल में बच्चा अपने आप को सुरक्षित महसूस करता है |