'माता का अँचल' पाठ में बच्चे चिड़ियों, चूहों आदि निरीह प्राणियों के साथ शरारतपूर्ण व्यवहार करते हैं। बच्चों का ऐसा कार्य उनकी किस प्रवृत्ति को दर्शाता है?
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‘माता का आँचल’ पाठ में बच्चे चिड़िया, चूहा. बिल्ली प्राणियों के साथ शरारत पूर्ण व्यवहार करते हैं। बच्चों का ऐसा कार्य उनकी चंचल एवं शरारती प्रवृत्ति को दर्शाता है।
बच्चों में नासमझी होने के कारण संवेदना का अभाव होता है। वह यह ठीक से नहीं समझ पाते कि इन निरीह पर प्राणियों को सताना नही चाहिए। जैसे जैसे बच्चे बड़े हो जाते हैं उनमें बुद्धि का विकास होता जाता है और उनमें संवेदना का विकास होने लगता है। तब उन्हें अनुभव होता है कि वो बचपन में जो करते थे गलत करते थे। उन्हें प्राणियों को सताना नहीं चाहिए था। बच्चों का ऐसा कार्य उनकी नासमझी और बाल सुलभ चंचलता वाली प्रवृत्ति को ही दर्शाता है।
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