माता का आँचल किसी और युग की कहानी प्रतीत होती है - अपने वर्तमान से उनकी तुलना करते हुए इसके पक्ष या विपक्ष में अपनी राय मिखे |
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‘माता का आँचल’ कहानी पूरी तरह किसी दूसरे युग की प्रतीत नहीं होती। यह कहानी पढ़ कर ऐसा लगता है, यह हमारे ही बचपन की कहानी है। हालाँकि समय के साथ थोड़ा बहुत भले ही परिवर्तन आ गया हो। स्वाभाविक रूप से सभी बच्चे अपने बचपन में माँ के ही अधिक नजदीक होते हैं, भले ही वे पिता के साथ खूब घूमते फिरते हों।
जैसा कि इस पाठ में भोलानाथ का अपने पिता के साथ अधिक जुड़ाव था, लेकिन किसी संकट की घड़ी में वो माँ की ही शरण लेता था, उसी तरह बचपन में लगभग हर बच्चे के साथ ऐसा ही होता है। पिता से लाख जुड़ाव होने के बावजूद बच्चे लोग किसी भी अनचाही स्थिति में अपनी माँ के पास ही जाते हैं।
हमारे बचपन में भी ऐसा ही होता था कि जब हम किसी बात से दुःखी हो जाते तो सबसे पहले हमें अपनी माँ ही याद आती थी। हालांकि समय के साथ कुछ परिवर्तन हो गया है बच्चों का अब माता और पिता के साथ पूरा समय बिताने वाला जुड़ाव नहीं रह गया है। आजकल के बच्चे तकनीक के महारथी हो गए हैं और वह अपना अधिकतर समय तकनीक यंत्रों जैसे कि मोबाइल, लैपटॉप आदि पर बिताते हैं। माँ बाप के साथ बिताने के लिए उनके पास समय कम है। उस दृष्टि से देखा जाए तो यह कहानी दूसरे युग की प्रतीत होती है, नहीं तो स्वभाविक रूप से कुछ ना कुछ तो इस कहानी में सब के बचपन का निकलता ही है।
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‘माता का आँचल’ पाठ से संबंधित कुछ अन्य प्रश्न—▼
‘माता का आँचल’ पाठ के आधार पर माँ की ममता और पिता के प्यार पर एक लेख लिखिये।
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लेखक के पिताजी कौन-सी बही लिखते थे?
a) रामनाम बही
b) कर्जाबही
c) श्यामाबही
d) कोई नहीं
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