मेट्रो के बारे में 50 शब्दों में वर्णन करें
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दिल्ली मेट्रो रेल भारत की राजधानी दिल्ली- एनसीआर की मेट्रो रेल परिवहन व्यवस्था है जो दिल्ली मेट्रो रेल निगम लिमिटेड द्वारा संचालित है।[3][4] इसका शुभारंभ २४ दिसंबर, २००२ को शहादरा तीस हजारी लाईन से हुई।[5] इस परिवहन व्यवस्था की अधिकतम गति ८०किमी/घंटा (५०मील/घंटा) रखी गयी है और यह हर स्टेशन पर लगभग २० सेकेंड रुकती है। सभी ट्रेनों का निर्माण दक्षिण कोरिया की कंपनी रोटेम (ROTEM) द्वारा किया गया है। दिल्ली की परिवहन व्यवस्था में मेट्रो रेल एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इससे पहले परिवहन का ज्यादतर बोझ सड़क पर था। प्रारंभिक अवस्था में इसकी योजना छह मार्गों पर चलने की थी जो दिल्ली के ज्यादातर हिस्से को जोड़ते थे। इस प्रारंभिक चरण को २००६ में पूरा किय़ा गया। बाद में इसका विस्तार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से सटे शहरों गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुड़गाँव और नोएडा तक किया गया। इस परिवहन व्यवस्था की सफलता से प्रभावित होकर भारत के दूसरे राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश[6][7][8], राजस्थान[9][10], कर्नाटक[11], आंध्र प्रदेश[11] एवं महाराष्ट्र[11] में भी इसे चलाने की योजनाएं बन रही हैं। दिल्ली मेट्रो रेल व्यव्स्था अपने शुरुआती दौर से ही ISO १४००१ प्रमाण-पत्र अर्जित करने में सफल रही है जो सुरक्षा और पर्यावरण की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।
दिल्ली मेट्रोजानकारीक्षेत्रदिल्ली, भारतयातायात प्रकारत्वरित यातायातलाइनों की संख्या६स्टेशनों की संख्या१३५[1]प्रतिदिन की सवारियां१६,००,००० प्रतिदिन[2]प्रचालनप्रचालन आरंभ२४ दिसंबर, २००२संचालकदिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेडतकनीकीप्रणाली की लंबाई327 किलोमीटर (203 मील)[1]पटरी गेज१,६७६ मि.मि. (५ फी. ६ इं.) (ब्रॉड गेज)
दिल्ली मेट्रो भारत में सबसे बड़ा और व्यस्ततम मेट्रो है, और दुनिया की 9वीं सबसे लंबी मेट्रो प्रणाली लंबी अवधि में और 16 वीं सबसे बड़ी सवारी में है। CoMET के एक सदस्य, नेटवर्क में आठ रंग-कोडित नियमित रेखाएं होती हैं, जिसमें कुल लंबाई 317 किलोमीटर (197 मील) है जो 229 स्टेशनों (6 स्टेशन सहित एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन और इंटरचेंज स्टेशनों ) की सेवा करती है।[12][13] इस प्रणाली में ब्रॉड-गेज और मानक-गेज दोनों का उपयोग करके भूमिगत, एट-ग्रेड और उन्नत स्टेशनों का मिश्रण है। पावर आउटपुट 25 किलोवाल्ट, 50-हर्ट्ज वैकल्पिक ओवरहेड कैटेनरी के माध्यम से वैकल्पिक रूप से आपूर्ति की जाती है। ट्रेन आमतौर पर छह और आठ कोच लंबाई होती है। डीएमआरसी प्रतिदिन 2,700 से अधिक यात्राएं संचालित करती है, पहली ट्रेनें लगभग 05:00 बजे शुरू होती हैं और आखिरी बार 23:30 बजे होती हैं। 2016-17 के वित्तीय वर्ष में, दिल्ली मेट्रो में 2.76 मिलियन यात्रियों की औसत दैनिक सवारता थी और वर्ष के दौरान कुल मिलाकर 100 करोड़ (1.0 अरब) सवार थे।
सितंबर २०११ में संयुक्त राष्ट्र ने "स्वच्छ विकास तंत्र" योजना के तहत हरित गृह गैसों में कमी लाने के लिए दिल्ली मेट्रो को दुनिया का पहला "कार्बन क्रेडिट" दिया जिसके अंतर्गत उसे सात सालों के लिए 95 लाख डॉलर मिलेंगे।[14]
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