मित्र को पत्र लिखें
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48, साउथ रोड,
इलाहाबाद
दिनांक : 18.09.2015
प्रिय मित्र शुभम्,
सप्रेम नमस्ते ।
मुझे तुम्हारा पत्र कल ही प्राप्त हुआ । पत्र के माध्यम से तुम्हारी निराशा स्पष्ट झलक रही थी । यह बिल्कुल ठीक नहीं है । तुम्हारे पिताजी यदि किसी कारणवश तुम्हें आगे नहीं पढ़ा पा रहे हैं तो उसमें हताश अथवा निराश होने जैसी कोई बात नहीं है । इस अवसर पर तुम्हें स्वावलंबी बनने की आवश्यकता है । प्रत्येक व्यक्ति को कभी न कभी अपने पैरों पर खड़ा होना ही पड़ता है ।
मुझे पूर्ण आशा है कि तुम अपना समय खोए बिना अपनी समस्या का हल स्वयं ढूँढ लोगे । स्वावलंबन में ही वास्तविक सुख है और यह तुम्हारे लिए एक अच्छा अवसर है । तुम अभी अस्थाई रूप से पार्ट टाइम नौकरी अथवा ट्यूशन आदि विकल्पों को अपनाकर आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हो ।
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