'मित्र का साथ नही छोड़ना चाहिए 'ko sanskrit me kya kahte hai
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संस्कृत में कर्ता के पुरुष एवं वचन के आधार पर क्रिया का रूप निर्धारित होता है, किन्तु क्रिया पर लिंग का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।। उदाहरणार्थ-‘राम पढ़ता है’ वाक्य के लिए संस्कृत में लिखा जाएगा ‘रामः पठति’, जबकि ‘सीता पढ़ती है’ के लिए भी ‘सीता पठति’ ही लिखा जाएगा। इस प्रकार यहाँ क्रिया कर्ता के लिंग से अप्रभावित है।
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