(१) मंत्रालयों के आपसी पत्रव्यवहार के लिए किस का प्रयोग किया जाता है?
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1. सरकारी पत्र 2. ज्ञापन 3. कार्यालय ज्ञापन का प्रयोग किया जाता है।
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मंत्रालयों के आपसी पत्रव्यवहार के लिए किस का प्रयोग किया जाता है?
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मंत्रालयों के आपसी पत्रव्यवहार के लिए किस का प्रयोग किया जाता है?
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सरकारी पत्र का दायरा अत्यंत व्यापक है। इसमें भारत सरकार के सभी संस्थान, राज्य सरकार के संस्थान और नगर पालिका तथा ग्राम पंचायत के संस्थान शामिल हैं। सरकार में सचिवालय और संचालनालय होते हैं जो केंद्र और राज्य सरकार के अंतर्गत कार्य करते हैं। इसके साथ ही जिला स्तर पर जिला कलेक्टर होता है और नगर पालिकाओं में आयुक्त होता है। इसी प्रकार तहसील स्तर पर भी व्यवस्था है और यह व्यवस्था ग्रामों तक व्याप्त है। पंचायतों में भी मंत्री का पद होता है और अब धीरे-धीरे ग्राम पंचायतों के अधिकारों में वृद्धि भी होती जा रही हैl
सरकारी पत्र की आंतरिक व्यवस्था के अंतर्गत पत्र भेजने और प्राप्त करने के लिए भी एक प्रक्रिया होती है जिसे जावक और आवक कहा जाता है। जो पत्र भेजा जाता है उसका फाइल में, जिसे जावक रजिस्टर कहते हैं, अंकन किया जाता है और उसमें पत्र संख्या और दिनांक डाली जाती है। इसी प्रकार जो पत्र आते हैं उनके लिए आवक रजिस्टर होता है और उसमें भी यही प्रक्रिया अपनाई जाती है।
ज्ञापन का प्रयोग अधीनस्थ अधिकारियों के ऐसी सूचना भेजने के लिए किया जाता है जो सरकारी आदेश के समान नहीं होता ज्ञापन अन्य पुरुष में ही लिखा जाता है और इसमें भी संबोधन अथवा अधोलेखन नहीं होता सिर्फ अधिकारी के हस्ताक्षर और उसका नाम होता है पाने वाले का नाम और पदनाम हस्ताक्षर के नीचे पत्र की बाई तरफ लिखा जाता है सरकारी कार्यालयों में अधिकारी अथवा कर्मचारियों की नियुक्तियां, तैयारियां, स्थानांतरण, वेतन वृद्धि आदि अनेक बातों के लिए ज्ञापन का प्रयोग किया जाता है। इसी के साथ कार्यालय प्रार्थना पत्रों आवेदन पत्र आदि का पावती भेजनी तथा अधीनस्थ कार्यालयों को पूरी तरह सरकारी नहीं होने वाले आदेश भेजने के लिए भी ज्ञापन का प्रयोग किया जाता है। कार्यालय ज्ञापन भारत सरकार अथवा राज्य सरकार के मंत्रालयों के बीच पत्र व्यवहार को कहते हैं। इसके द्वारा परस्पर सूचनाएं भी एकत्र की जाती है। परस्पर मंत्रालयों अथवा विभागों के बीच यह प्रचार होता है जो समान स्तर के हो।
ज्ञापन कार्यालय पत्रचार का ही एक महत्वपूर्ण प्रभेद है किंतु समान कार्यालय पत्र व्यवहार और ज्ञापन में अंतर होता है। कार्यालनिय कामकाज में ज्ञापन एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को नहीं किंतु टिक अधिकारी दूसरे उनसे कनिष्ठ अधिकारी को लिखते हैं ज्ञापन सीधे विषय से संबंधित प्राय: लिखे जाते हैं अतः ज्ञापन लिखने वाले पदाधिकारी को सरकारी नीतियों तथा सेवा सूत्रों की पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए। ज्ञापन संक्षिप्त और विषयानुरूप ही लिखे जाने चाहिए। ज्ञापन तैयार करते समय ध्यान रहे कि लंबे चौड़े और वर्णात्मक लेखन नहीं हो। ज्ञापन में ना तो संबोधन होता है और ना ही अत्मनिर्देश होता है किंतु उसके अंत में केवल प्रेषक के हस्ताक्षर तथा पदनाम दिया जाता है। ज्ञापन की भाषा सरल सहज तथा वाक्य एवं पद बिल्कुल छोटे छोटे होने चाहिए। ज्ञापन के बारे में एक बात विशेष रुप से ध्यान में रखी जानी चाहिए की राजभाषा अधिनियम 1976 के अनुसार केंद्रीय कार्यालय में कार्यरत प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी का अधिकार होगा कि उसे दी जाने वाला ज्ञापन केवल हिंदी में मन सकता है और अपना स्पष्टीकरण आदि भी केवल हिंदी में ही प्रस्तुत कर सकता है।
कार्यालय ज्ञापन में अन्य पुरुष शैली का प्रयोग किया जाता है। इसमें प्रिय महोदय जैसे शब्दों का संबोधन नहीं करते हैं। पत्र के अंत में भवदीय याद भी नहीं लिखते हैं, पत्र भेजने वाले अधिकारी का नाम हस्ताक्षर पद और पता इस पत्र में अंकित नहीं होता है। ज्ञापन पाने वाले मंत्रालय का उल्लेख पत्र के अंत में बाएं तरफ होता है।
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