Social Sciences, asked by SALIM2226984, 9 months ago

मंत्रिपरिषद का नियंत्रण कौन रखता है?

Answers

Answered by bhatiamona
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मंत्री परिषद का नियंत्रण राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री रखता है और राज्यों के मंत्री परिषद का नियंत्रण मुख्यमंत्री के हाथ में होता है।

मंत्री परिषद का गठन राज्य राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। जबकि राज्य में मंत्रिपरिषद का गठन मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल द्वारा किया जाता है।

राष्ट्रीय मंत्री परिषद लोकसभा तथा राज्य की मंत्रिपरिषद विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।

कोई भी मंत्रिपरिषद तीन स्तरीय होती है, जिसमें कैबिनेट स्तर के मंत्री, राज्य मंत्री और उप मंत्री होता है। किसी भी मंत्री परिषद में राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री और राज्यीय स्तर पर मुख्यमंत्री सहित कुल लोकसभा अथवा विधानसभा की सदस्य संख्या के 15% से अधिक नहीं होने चाहिए।

Answered by kirtisingh01
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Answer:

मंत्रिपरिषद का नियंत्रण प्रधानमंत्री रखता है|

Explanation:

भारतीय संविधान में मंत्रिपरिषद से सम्बंधित दो अनुच्छेद अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं. अनुच्छेद 74 में लिखा है कि राष्ट्रपति को उसके कार्यों में सहायता देने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक मंत्रिपरिषद के परामर्श के विषय में कोई भी न्यायिक कार्यवाही नहीं हो सकेगी. अनुच्छेद 74 के शब्द इस प्रकार हैं – ” राष्ट्रपति को अपने कार्यों को पूरा करने के लिए सहायता और परामर्श देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा. मंत्रियों ने राष्ट्रपति को क्या कोई परामर्श दिया और यदि दिया तो क्या, इस प्रश्न पर न्यायालय में कोई जाँच नहीं की जा सकेगी.” संविधान की धारा 75 में स्पष्ट किया गया है कि

  • प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की मंत्रणा पर करेगा.
  • राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत मंत्री अपने पद धारण करेंगे.
  • मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होंगे.
  • किसी मंत्री के अपने पद-ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति उसे पद की तथा गोपनीयता की शपथ कराएगा.
  • कोई मंत्री जो लगातार 6 महीने की कालावधि तक संसद के किसी सदन का सदस्य न रह पाए, उस कालावधि के समाप्ति पर वह मंत्री नहीं रह सकता.
  • मंत्रियों के वेतन तथा भत्ते ऐसे होंगे जैसे, समय-समय पर, संसद विधि द्वारा निर्धारित करे …और जब तक संसद  इस प्रकार निर्धारित न करे तब तक इनके वेतन और भत्ते ऐसे होंगे जैसे की द्वितीय अनुसूची में निर्दिष्ट हैं.
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