मंत्र संख्या 5.6.7.8 को Calligraphy लेखन विधि से लिखें। ।
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हिन्दू श्रुति ग्रंथों की कविता को पारम्परिक रूप से मंत्र कहा जाता है। उदाहरण के लिए ऋग्वेद संहिता में लगभग १०५५२ मंत्र हैं। ॐ स्वयं एक मंत्र है और ऐसा माना जाता है कि यह पृथ्वी पर उत्पन्न प्रथम ध्वनि है।
इसका शाब्दिक अर्थ 'विचार' या 'चिन्तन' होता है [1] । 'मंत्रणा', और 'मंत्री' इसी मूल से बने शब्द हैं । मन्त्र भी एक प्रकार की वाणी है, परन्तु साधारण वाक्यों के समान वे हमको बन्धन में नहीं डालते, बल्कि बन्धन से मुक्त करते हैं।[2]
काफी चिन्तन-मनन के बाद किसी समस्या के समाधान के लिये जो उपाय/विधि/युक्ति निकलती है उसे भी सामान्य तौर पर मंत्र कह देते हैं। "षडकर्णो भिद्यते मंत्र" (छः कानों में जाने से मंत्र नाकाम हो जाता है) - इसमें भी मंत्र का यही अर्थ है।
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