Hindi, asked by starmogh3258, 11 months ago

मिट्टी तन है, मिट्टी मन है, मिट्टी दाना-पानी है।
मिट्टी ही तन-बदन हमारा, सो सब ठीक कहानी है।
पर जो उलटा समझ इसे ही बने आप ही जानी है।
मिट्टी करता है जीवन को जो और बड़ा अज्ञानी है।
समझ सदा अपना तन मिट्टी, मिट्टी जो कि रमाता है।
मिट्टी करके सरबस अपना मिट्टी में मिल जाता है,
जगत है सच्चा तनिक न कच्चा समझो बच्चा इसका भेद।
खाओ-पीओ कर्म करो नित, कभी न लाओ मन में खेद।
रचा उसी ने है यह जग तो निश्चय उसको प्यारा है।
इसमें दोष लगाना अपने लिए दोष का द्वारा है।
i) कवि ने कैसे ज्ञानियों पर कटाक्ष किया है ?
ii) जीवन को मिट्टी करने से कवि का क्या आशय है?
iii) कवि संसार को सच्चा मानकर क्या संदेश देना चाहता है ?
iv) यह संसार भगवान को प्रिय क्यों है?

Answers

Answered by shishir303
7

(i)

कवि ने उन ज्ञानियों पर कटाक्ष किया है जो मिट्टी की महिमा को ना समझ कर स्वयं को ज्ञानी समझते हैं, क्योंकि हमारा तन-मन और हमारे जीवन के अन्य सभी साधन मिट्टी से बने हैं, और अंत में हमें उन्हीं में विलीन हो जाना है। ऐसे अज्ञानी व्यक्ति की जीवन अंत में बिना कुछ सार्थक किये यूं ही मिट्टी में मिल जाना है।

(ii)

जीवन  को मिट्टी करने से कवि का आशय है कि जो अपने तन और मन को मिट्टी समझते हुए उसके रखरखाव की चेष्टा नहीं करते, उनका तन-मन और जीवन अंत में यूं ही मिट्टी में ही मिल जाता है।

(iii)

संसार को सच्चा मानते हुए कवि यह संदेश देना चाहता है कि हमें अपना जीवन सच्चे नियमों का पालन करते हुए बिताना चाहिए, तभी हमारा जीवन सफल हो सकेगा।

(iv)

संसार की रचना में दोष निकालना व्यर्थ है, क्योंकि अगर हम ध्यान से देखें तो सृष्टि की रचना में सृष्टिकर्ता की समझदारी और चतुराई सामने आ जाती है। यह संसार भगवान ने अत्यंत सोच समझकर बनाया है, इसलिए यह संसार उन्हें प्रिय है और इसमें दोष निकालना व्यर्थ है।

Answered by srijitamal9
1

Answer:

is kavita ka kya naam hona chahiye ..

Similar questions