मुद्रा एक अच्छा सेवक लेकिन बुरा स्वामी है।"" टिप्पणी कीजिए।
Answers
Explanation:
ये दुनिया मोह-माया की,
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मुद्रा रूपी काया की |
इसके लिए हत्या की इंसा ने,
माता-पिता और भाया की ||
जिसने भी कही है, ये बात सही है |
समाज के स्वरूप का, है ये आयामी।
मुद्रा एक अच्छा सेवक है, किन्तु बुरा स्वामी।
दोस्त भी दुश्मन इसकी वजह से,
सारी उलझन इसकी वजह से।
शासन-सत्ता इसकी मोह-माया,
इसके लोभ से कोई न बच पाया।
जिसने भी कही है, ये बात सही है |
न कोई दूरदर्शिता न कोई अन्तर्यामी,
मुद्रा एक अच्छा सेवक है, किन्तु बुरा स्वामी।
भ्रष्टाचार का कारण है ये,
समाज में उपजे लालच का उदाहरण है ये।
अमीरी-गरीबी की दरार ये डाले,
अपनी मोह-माया से इंसा को मार ये डाले।
जिसने भी कही है, ये बात सही है |
चोर, उचक्का बनाके, करवाता है बदनामी,
मुद्रा एक अच्छा सेवक है, किन्तु बुरा स्वामी।
- नूरहसन उर्फ शाहनील ख़ान
हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।
मुद्रा एक अच्छा सेवक किंतु बुरा स्वामी है, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री राबर्टसन द्वारा दिया गया कथन अर्थशास्त्र के संबंध में सटीक है।
मुद्रा एक अच्छा सेवक बन जाती है क्योंकि यह वित्तीय कार्यों यानि लेनदेन संबंधी कार्यों को सरल बना देती है ।इस तरह यह सेवक के रूप में अच्छा कार्य करती है। लेकिन यही मुद्रा जब हावी होने लग जाए अर्थात वह स्वामी की तरह कार्य करने लगे, तो इसका नकारात्मक पक्ष सामने आ जाता है। जब की मुद्रा का चलन ज्यादा हो जाए तो मुद्रा प्रसार की स्थिति पैदा हो जाती है। जिससे आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और यह परेशानी या अनियंत्रित हो जाती हैं। इसलिए मुद्रा सेवक के रूप में कार्य करते रहे तो अच्छी है लेकिन यह लोगों पर हावी होकर स्वामी के रूप में कार्य करने लगती है तो कष्टदायक बन जाती है।
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