Art, asked by pondkulemayuri, 3 months ago

मुद्दे : गरीब कुटुंब... कुटुंब प्रमुख्याचा मृत्यू... हपत्याने शिलाई मशीन खरेदी... खूप कष्ट ​

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Answered by Itz2minback
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सीहोर। मैं इमरत सिंह पिता कालूराम ग्राम बरखेड़ा देवा का निवासी हूं। मेरा तीन बार पेट का आपरेशन हो चुका है। मैं मेहनत मजदूरी करने में असमर्थ हूं। घर में ऐसा कोई सदस्य नहीं है, तो परिवार चला सकें। मुझे सिलाई मशीन दिला दी जाए। इन शब्दों के साथ जनसुनवाई में पहुंचे ग्रामीण को कतई भरोसा नहीं था कि उसका यह सपना कुछ ही समय में पूरा हो जाएगा। नेकी के पेड़ से निर्धन गामीण को सिलाई मशीन दिलाने का एक और अध्याय जुड़ गया। भूखे को रोटी, बीमार को खून और बेबस को नौकरी की कड़ी में नेकी के पेड़ से एक निर्धन और लाचार का स्वरोजगार से जुड़कर काम करने का सपना पूरा हो गया।

निर्धन इमरत सिंह मंगलवार को जनसुनवाई में कलेक्टर सुदाम खाड़े के समक्ष पहुंचा था।रुधे गले से गुहार लगाते हुए उसने अपनी कहानी कह सुनाईथी। उसने अपने आवेदन में कहा था कि वह स्वरोजगार कर अपने घर परिवार की पेट की आग बुझाना चाहताहूं, लेकिन मैं बेबस हूं... मेहनत मजदूरी नहीं कर सकता है। शासन की तरफ से मुझे सिलाईमशीन मिल जाए तो मेरा परिवार के पेट की आग बुझ सकेगी। जनसुनवाई में उपस्थित एसडीएम राजकुमार खत्री ने भी यह बात सुनी थी। उन्होंने जनसुनवाई के बाद ग्रामीण को तहसील कार्यालय परिसर में स्थित नेकी के पेड़ के पास मिलने की बात कही थी।

जनसहयोग से मिली सिलाई मशीन एसडीएम राजकुमार खत्री ने बताया कि दुखी ग्रामीण की फरियाद सुनकर अनेक लोग जनसहयोग के लिए आगे आ गए थे।ग्रामीण इमरत का सपना पूरा करने बंटी पाराशर ने मशीन, सोडानी परिवार की तरफ से मशीन पैर दान और फईम मियां ने मशीन के मोटर उपलब्ध करा दी गई। इसके साथ ही ग्रामीण सिलाईमशीन पाकर खुशी-खुशी अपने घर लौट गया।तरफ से मशीन पैर दान और फईम मियां ने मशीन के मोटर उपलब्ध करा दी गई। इसके साथ ही ग्रामीण सिलाईमशीन पाकर खुशी-खुशी अपने घर लौट गया।

आंखों में आए खुशी के आंसू

ग्रामीण ने बताया कि उसे भरोसा नहीं था कि जनसुनवाईके बाद उसका सिलाई मशीन मिलने का सपना पूरा हो जाएगा। उसने बताया कि जब वह तहसील कार्यालय स्थित नेकी के पेड़ के पास पहुंचा तो उसे कुछ ही समय में सिलाई मशीन मिल मिलने के साथ ही खुशी से उसकी आंखों में आंसू छलक आए।

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