मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती हैं? Answer in 3 points
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मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता प्रापत होती है क्योंकि
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1.जब मनुष्य मीठी वाणी का प्रयोग करता है तो उसके अंदर अलंकार का भाव नही रहता।
2.मीठी वाणी उसके क्रोध को भी शांत कर देती है।
3.मनुष्य जब अहँकार से मुक्त होकर मधुर वचन बोलता है तो उसे सुनकर अपने तन को तो शीतलता पर्याप्त होती है ,दूसरों को भी सुख मिलता है अर्थात अपना शरीर तो आनंद प्राप्त करता ही है ,सुनने वालों को भी आनंद आता है।
4.भाव यह है कि मनुष्य को मधुर वचन बोलने चाहिए।
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जब हम मीठी वाणी में बोलते हैं तो इससे सुनने वाले को अच्छा लगता है और वह हमारी बात अच्छे तरीके से सुनता है। सुनने वाला हमारे बारे में अपनी अच्छी राय बनाता है जिसके कारण हम आत्मसंतोष का अनुभव कर सकते हैं।
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