मादक द्रव्य मौत का द्ववार
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मादक द्रव्य दुरुपयोग एक गंभीर चिंता बनकर उभरा है जो देश के भौतिक, सामाजिक-आर्थिक दशा को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। आधुनिक जीवन के तनाव और परेशानियों ने व्यक्तियों को मादक द्रव्य दुरुपयोग की समस्या से ग्रसित होने के लिए अधिक असुरक्षित बना दिया है। मादक द्रव्य की आदत न केवल इसके आदी व्यक्तियों को प्रभावित करती बल्कि परिवार और समाज को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाती है।
वर्ष 2001 में संयुक्त राष्ट्र संघ मादक द्रव्य और अपराध (यूएनओडीसी) और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह अनुमान लगाया गया है कि लगभग 73.2 मिलियन लोग शराब और मादक द्रव्य का सेवन करते थे जिनमें से 8.7, 2.0 और 62.5 मिलियन लोग क्रमश: भांग, अफीम और शराब का सेवन करते थे। इन तीनों तरह के नशे के आदी लोगों में से क्रमश: 26%, 22% और 17% लोगो को इन नशीले पदार्थों पर निर्भर पाया गया। चूंकि देश की जनसंख्या को देखते हुए नमूने का आकार छोटा (केवल 40,697 पुरुष) था इसलिए इस अनुमान को केवल संकेत के रूप में लेना बेहतर होगा। सर्वेक्षण से यह संकेत भी प्राप्त हुआ कि अन्य पदार्थ जैसे सिडेटिव/स्वापक, वाष्पशील पदार्थ, भ्रमित करने वाले पदार्थ, उत्तेजक औषधियां और औषधि मिश्रणो का भी दुरूपयोग हुआ।
अनेक अन्य अध्ययनों से भी पता चला कि मादक द्रव्य दुरुपयोग के बदलते परिदृश्य और घटनाक्रम महिलाओं और बच्चों के बीच मादक द्रव्यों के उपयोग में वृद्धि दर्शाते हैं और औषधि मादक द्रव्यों का दुरुपयोग और विशेषकर घूमने वाले बच्चों में सांस से खींचकर मादक द्रव्यों के उपयोग में वृद्धि भी अब गंभीर चिंता का विषय है।
स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 की धारा 71 के अंतर्गत सरकार को नशीली दवा के आदी लोगों की पहचान, इलाज और पुनर्वास केन्द्र की स्थापना करने का अधिकार प्राप्त है। नोडल एजेंसी के रूप में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय शराब और मादक द्रव्य दुरुपयोग निवारण स्कीम के अंतर्गत इसके आदी लोगों के लिए स्वैच्छिक संगठनों द्वारा चलाए जा रहे एकीकृत पुनर्वास केन्द्र को सहायता प्रदान कर रहा है।
हालांकि, विभिन्न लक्षित समूहों के लिए विभिन्न हस्तक्षेपों के माध्यम से पर्याप्त संख्या में प्रयास किए जा रहे हैं फिर भी मादक द्रव्य दुरुपयोग के बदलते परिदृश्य में प्रभावी सेवा आपूर्ति के लिए मानव संसाधन विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण की आवश्यकता है। इस प्रकार मादक द्रव्य निवारण संस्थान का एक प्रमुख सरोकार है
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