Hindi, asked by surendrasahu93120, 2 months ago

माधव राव सप्रे द्वारा बताये संभाषण के सारगर्भित सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए ।​

Answers

Answered by gurukantverma2011
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Answer:माधवराव सप्रे का जन्म सन् १८७१ ई० में दमोह जिले के पथरिया ग्राम में हुआ था। बिलासपुर में मिडिल तक की पढ़ाई के बाद मैट्रिक शासकीय विद्यालय रायपुर से उत्तीर्ण किया। १८९९ में कलकत्ता विश्वविद्यालय से बी ए करने के बाद उन्हें तहसीलदार के रूप में शासकीय नौकरी मिली लेकिन सप्रे जी ने भी देश भक्ति प्रदर्शित करते हए अँग्रेज़ों की शासकीय नौकरी की परवाह न की। सन १९०० में जब समूचे छत्तीसगढ़ में प्रिंटिंग प्रेस नही था तब इन्होंने बिलासपुर जिले के एक छोटे से गांव पेंड्रा से “छत्तीसगढ़ मित्र” नामक मासिक पत्रिका निकाली।[1] हालांकि यह पत्रिका सिर्फ़ तीन साल ही चल पाई। सप्रे जी ने लोकमान्य तिलक के मराठी केसरी को यहाँ हिंदी केसरी के रूप में छापना प्रारंभ किया तथा साथ ही हिंदी साहित्यकारों व लेखकों को एक सूत्र में पिरोने के लिए नागपुर से हिंदी ग्रंथमाला भी प्रकाशित की। उन्होंने कर्मवीर के प्रकाशन में भी महती भूमिका निभाई        

Explanation:

please mark me as bainliest

Answered by roopa2000
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Answer:

माधवराव सप्रे की स्मृति में भोपाल में माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान की स्थापना की गयी थी। विजयदत्त श्रीधर इसके संस्थापक-संयोजक थे। 19 जून 1984 को माधवराव सप्रे समाचारपत्र संग्रहालय का मिशन प्रारम्भ हुआ। सन 1984 में रानी कमलापति महल के पुराने बुर्ज से सप्रे संग्रहालय की यात्रा आरम्भ हुई। स्थान की कमी पड़ने लगी तब, सन 1987 में आचार्य नरेन्द्रदेव पुस्तकालय भवन के ऊपर नगरपालिक निगम भोपाल ने एक मंजिल का निर्माण कर 3000 वर्गफुट स्थान उपलब्ध कराया। यह जगह भी कम पड़ी तब 19 जून 1996 को सप्रे संग्रहालय अपने भवन में स्थानांतरित हुआ। अब संग्रहालय के पास 11000 वर्गफुट स्थान उपलब्ध है।

सप्रे संग्रहालय को बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर ने शोध केन्द्र के रूप में मान्यता प्रदान की है।

सप्रे संग्रहालय में संचित सामग्री का सन्दर्भ लाभ उठाते हुए 600 से अधिक शोधार्थियों ने डी.लिट्., पीएच.डी. और एम.फिल. उपाधियों के लिये थीसिस पूरी की है। लाभान्वितों में देश-विदेश के शोध छात्र सम्मिलित हैं।

सप्रे संग्रहालय में जर्जर पाण्डुलिपियों और अन्य सन्दर्भ सामग्री के संरक्षण के लिये माइक्रोफिल्मिंग, डिजिटाइजेशन, लेमिनेशन आदि प्रविधियां अपनाई जा रही हैं।

EXPLAIN:

वार्तालाप या बातचीत मनुष्य द्वारा समाज में परस्पर संपर्क क़ायम करने का एक बहुपक्षीय और स्वाभाविक माध्यम है इस से मनुष्य अपने विचारो का आदान प्रदान करता है।[1] वार्तालाप विश्लेषण (English:Conversation Analysis) समाजशास्त्र की वह शाखा है जो मानव अंतरक्रिया की बनावट और संगठन का अध्ययन करती है, जिसमें वार्तालाप संपर्क विषय प्रमुख होता है। वार्तालाप ही समाज में,सस्थान में,कार्यालय में,देश-विदेश में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने का सशक्त माध्यम है आप विनम्रता जैसे तत्वों को अपनाकर वार्तालाप को प्रभावशाली बना सकते है वार्तालाप में सिर्फ बात करना ही महत्वपूर्ण नहीं होता है अपितु दुसरो कि बातो को ध्यान से सुनना और समझना भी जरूरी होता है बातचीत करने के लिए आत्मविश्वास,शारीरिक भाषा और नेत्र संपर्क जैसे पहलुओ पर ध्यान दे कर आप एक सफल इन्सान बन सकते है!

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