मेवाड़-मुकुट खण्डकाव्य के आधार पर उसके छठे सर्ग का कथानक संक्षेप में लिखिए ।
Answers
see above attachment
hope it helps you ❣️
छठे सर्ग का कथानक मेवाड़-मुकुट खण्डकाव्य के आधार पर नीचे दिया गया है -
Explanation:
क्षितिज में अरुणाभा फैल जाने पर राणा सभी को यात्रा के लिए तैयार क्र देते है। उसी समय एक अनुचर अकबर के दरबारी कवि पृथ्वीराज का पत्र ला कर राणा को देता है। राणा प्रताप उस पत्र को पढ़ने के बाद पृथ्वीराज से मिलने के लिए चले जाते हैं। पृथ्वीराज अपने और अपने जैसे अन्य राजपूतों के स्वार्थपूर्ण व्यवहार पर दुःख प्रकट करते हुए कहते हैं कि हमने अकबर का साथ देने के लिए अपनी राजपूती मर्यादा को भी भुला दिया था। वहां क्षुद्र स्वार्थ के कारण उनका स्वाभिमान, स्वातंत्र्य प्रेम और जातीय गौरव सब कुछ नष्ट हो गया है। हमने आपको कपट रहित मन स्वीकार किया है कि अब आपको साधनहीन वन वन भटकने नहीं देंगे। हमें आपके भुज बल पर भरोसा है। अब हम अकबर से प्रतिशोध ले कर मेवाड़ को पुनः प्राप्त करेंगे। जब राणा प्रताप अपने साधनहीन होने की बात करते हैं तो पृथ्वीराज उन्हें आश्वासन देते हुए कहते हैं कि सेना का प्रबन्ध करने के लिए भामाशाह साधनों को प्रस्तुत करेंगे। यह आश्वासन दे कर और राणा प्रताप की आज्ञा ले कर पृथ्वीराज भामाशाह को बुलाने चले जाते हैं।