मेवाड़-मुकुट खण्डकाव्य के आधार पर राणा प्रताप और भामाशाह के मध्य हुए वार्तालाप का वर्णन कीजिए ।
Answers
राणा प्रताप और भामाशाह के मध्य हुए वार्तालाप का वर्णन नीचे दिया गया है -
Explanation:
राणा प्रताप को लगता है कि उनके जीवन पथ में नियति अब नया मोड़ लाना चाहती है। उसी समय पृथ्वी के साथ भामाशाह आ कर जय जय कार करते हुए नत - मस्तक हो जाते हैं। भामाशाह, राणा प्रताप के चरणों में अपने पूर्वजों द्वारा संचित अपार - निधि को अर्पित करना चाहते हैं, परन्तु राणा प्रताप पराया धन स्वीकार करना अपने कुल की मर्यादा के विपरीत मानते हुए उसे लेने से इंकार कर देते हैं। भामाशाह निवेदन करता है कि वह राजवंश की दी हुयी सम्पत्ति ही राजवंश की सेवा में अर्पित कर रहा है। परन्तु राणा प्रताप का यह वचन सुनकर भामाशाह कहता है कि क्या केवल राजवंश को ही देश हित में त्याग और बलिदान का अधिकार है ? क्या देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करना प्रत्येक नागरिक का पावन कर्तव्य नहीं है ? भामाशाह के इस विनयपूर्ण तर्क को राणा प्रताप अस्वीकार नहीं कर पाते और क्षण भर के लिए मौन हो जाने के बाद भामाशाह को गले से लगा लेते हैं। भामाशाह के समर्पण को स्वीकार कर राणा प्रताप तुरंत सैन्य - संग्रह के लिए तत्पर हो जाते हैं। राणा प्रताप को अब मेवाड़ की मुक्ति का स्वप्न साकार होता दिखाई देने लगता है।