मेवाड़-मुकुट खण्डकाव्य के किसी एक पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए ।
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मेवाड़-मुकुट खण्ड काव्य के एक पात्र का चरित्र चित्रण नीचे दिया गया है -
Explanation:
मेवाड़-मुकुट खण्ड काव्य के आधार पर रानी लक्ष्मी जो कि महाराणा प्रताप की अर्द्धांगिनी हैं, का चरित्र चित्रण निम्नलिखित है-
(1) मानसिक संघर्ष- रानी लक्ष्मी वनों में महाराणा प्रताप के साथ भटक रही हैं साथ ही उन्ही के समान कष्ट भी झेल रही हैं। इतने कष्ट झेलने के बाद लक्ष्मी को मानसिक संघर्ष के साथ अनेक प्रकार की शंकाएं होने लगती हैं। उनका सोचना है कि वास्तव में भोग ही सच्चा जीवन दर्शन है जबकि कर्म योग की बातें कोरा आदर्श है।
(2) महाराणा प्रताप के लिए अपार श्रद्धा- महाराणा प्रताप के लिए लक्ष्मी के हृदय में अपार श्रद्धा है। उनका कहना है कि मेरे जीवन का एकमात्र अपराध यह है कि मैंने कभी अपने धर्म और स्वाभिमान को नहीं बेचा, अत्याचारी के आगे सर नहीं झुकाया, और दासता का जीवन स्वीकार नहीं किया। जिसके कारण उन्हें इतने कष्ट झेलने पड़े परन्तु उनकी आत्मा महान है इससे उन्हें संतोष प्राप्त होता है।
(3) उदारहृदया- अकबर की ममेरी बहन दौलत जो एक शत्रु की बहन रहती है, लक्ष्मी के साथ आ कर रहने लगती है। किन्तु वह उससे उतना ही स्नेह करती हैं, जितना अपने पुत्र अमर को।
(4) परदुःख- कातरता लक्ष्मी स्वयं कष्ट सह सकती हैं, पर दूसरों के दुःख उनसे देखे नहीं जाते। वे कहती हैं कि यदि मैं अकेली रहती तो भूखे रहने की भी कोई चिन्ता न रहती परन्तु राणा जी, अमर और दौलत का भूखे रहना नहीं देखा जाता।
(5) स्वतंत्रता प्रेमी- इतने मानसिक संघर्ष झेलने के बाद भी अंत में उनकी स्वतंत्रता की भावना की विजय होती है।
(6) दृढ़ता एवं वीरता- जब महाराणा प्रताप मेवाड़ छोड़ने का निश्चय कर लेते है तो उनका मन उत्साह से भर जाता है और कहती है की मेरी चिन्ता न करें मैं जौहर करना जानती हूँ।
अतः इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि रानी लक्ष्मी, उदारहृदया, साहसी एवं सहनशील हैं। वे एक आदर्श पत्नी तथा स्नेही माँ हैं।