"मियाँ नसीरूद्दीन ने आँखों के कंचे हम पर फेंक दिए। फिर तररेकर बोल- 'क्या मतलब है
पूछिए साहब- नानबाई इल्म लेने कहीं और जाएगा ? क्या नगीनासाज़ के पास ? क्या आईनास के
पास ? क्या मीना साज़ के पास ? या रफूगर, रंगरेज या तेली-तंबोली से सीखने जाएगा ? क्य
फरमा दिया साहब यह तो हमारा खानदानी पेशा ठहरा। हाँ, इल्म की बात पूछिए तो जो कुछ
सीखा, अपने वालिद उस्ताद से ही। मतलब यह कि हम घर से न निकले कि कोई पेशा आख्तिया
करेंगे। जो बाप-दादा का हुनर था वही उनसे पाया और वालिद मरइम के उठ जाने पर आ बैद
उन्हीं के ठीये पर।"
(क) नसीरूद्दीन के खानदान का पेशा क्या था ? उसने अपनी आजीविका के लिए कौन-सा धंध
अपनाया?
(ख) नसीरूद्दीन ने नानबाई का धंधा किससे सीखा ?
(ग) उक्त गद्यांन के आधार पर कुछ खानदानी धंधों के नाम गिनाइये।
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(क) विभिन्न प्रकार की रोटियां बनना ।
मियां नसीरुद्दीन ने अपने आजीविका के लिए नानबाई का धंधा चुना।
(ख) मियां नसीरुद्दीन ने नानबाई का धंधा अपने वालिद अर्थात् पिता से सीखा ।
(ख) उक्त गद्यांश में निम्नलिखित धंधों के नाम आए हैं -
नगीनासाज़
मीनासाज़
आईनासाज़
रफूगर
रंगरेज
तेरी तंबोली ।
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