"मियाँ नसीरूद्दीन ने आँखों के कंचे हम पर फेंक दिए। फिर तररेकर बोल- क्या मतलब है?
पूछिए साहब- नानबाई इल्म लेने कहीं और जाएगा? क्या नगीनासाज़ के पास? क्या आईनास के
पास ? क्या मीना साज़ के पास ? या रफूगर, रंगरेज या तेली-तंबोली से सीखने जाएगा? क्या
फरमा दिया साहब यह तो हमारा खानदानी पेशा ठहरा। हाँ, इल्म की बात पूछिए तो जो कुछ भी
सीखा, अपने वालिद उस्ताद से ही। मतलब यह कि हम घर से न निकले कि कोई पेशा आख्तियार
करेंगे। जो बाप-दादा का हुनर था वही उनसे पाया और वालिद मरइम के उठ जाने पर आ बैठे
उन्हीं के ठीये पर।"
ग) उक्त गद्यांन के आधार पर कुछ खानदानी धंधों के नाम गिनाइये।
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नगीनासाज , मीनासाज , नानबाई आदि
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