Madhyakalin Yug ki samajik arthik deshon ka varnan kijiye
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इस काल में कुछ शासक क्षत्रियेत्तर अर्थात् ब्राह्मण, वैश्य और शूद्र भी थे । उन्हें मेधातिथि ने क्षत्रिय वर्ण के रूप में स्वीकार नहीं किया किन्तु उन सभी को राजा स्वीकार किया गया क्योंकि वे सभी क्षत्रियोंचित्त कर्म की पूर्ति करते थे । इस काल में जिन किन्ही व्यक्तियों ने व्यापार किया उन सभी की गणना वैश्यों में की गई ।
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