मगर किसी जुल्मी के आगे,
मस्तक नहीं झुकाएँगे।
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कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि हम भारतीय हमेशा से शन्ति के दूत रहे है। 1) गंगा-यमुना हिंद महासागर, के हम रखवाले हैं। (ii) मगर किसी जुल्मी के आगे मस्तक नहीं झुकाएँगे। इसका आशय है कि हम संपूर्ण भारत पर हम नज़र रखे हुए है।
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