महाभारत में से किन्ही तीन पत्रों का चरित्र चित्रण
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भीम ने बलराम से गदा युद्ध सीखा था। भीम ने ही दुर्योधन और दुःशासन सहित गांधारी के 100 पुत्रों को मारा था। द्रौपदी के अलावा भीम की पत्नी का नाम हिडिंबा था जिससे भीम का परमवीर पुत्र घटोत्कच पैदा हुआ था। घटोत्कच ने ही इन्द्र द्वारा कर्ण को दी गई अमोघ शक्ति को अपने ऊपर चलवाकर अर्जुन के प्राणों की रक्षा की थी।
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महाभारत में से किन्ही तीन पत्रों का चरित्र चित्रण
सिंक्षिप्तमहाभारत महाभारत में यूं तो हजारों किरदार हैं, लेकिन यहां प्रस्तुत है उन लोगों के बारे में संक्षिप्त परिचय जिनका महाभारत के युद्ध से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से संबंध रहा है। वह भी जिनकी महाभारत में ज्यादा चर्चा होती है।
कृष्ण- वसुदेव और देवकी की 8वीं संतान और भगवान विष्णु के 8वें अवतार जिन्होंने अपने दुष्ट मामा कंस का वध किया था। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र युद्ध के प्रारंभ में गीता उपदेश दिया था। कृष्ण की 8 पत्नियां थीं, यथा रुक्मणि, जाम्बवंती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिंदा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा। श्रीकृष्ण के लगभग 80 पुत्र थे। उनमें से खास के नाम हैं- प्रद्युम्न, साम्ब, भानु, सुबाहू आदि। साम्ब के कारण ही कृष्ण कुल का नाश हो गया था। साम्ब ने दुर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा से विवाह किया था।
भीष्म- 8 वसुओं में से एक और शांतनु एवं गंगा के पुत्र भीष्म का नाम देवव्रत था। जब देवव्रत ने अपने पिता की प्रसन्नता के लिए आजीवन ब्रह्मचारी रहने का प्रण लिया, तब से उनका नाम भीष्म हो गया। उनके पिता की दूसरी पत्नी का नाम सत्यवती था, जो निषाद कन्या थीं।
द्रोण- भारद्वाज ऋषि की संतान थे। द्रोणाचार्य का विवाह कृपाचार्य की बहन कृपि से हुआ था जिससे उनको एक पुत्र मिला जिसका नाम अश्वत्थामा था। गुरु द्रोणाचार्य ने शपथ ली थी कि मैं हस्तिनापुर के राजकुमारों को ही शस्त्र विद्या सिखाऊंगा इसीलिए उन्होंने एकलव्य को अपना शिष्य बनाने से इंकार कर दिया था। युद्ध में द्रौपदी के भाई धृष्टद्युम्न ने एक छल से द्रोणाचार्य का वध कर दिया था।
धृतराष्ट्र- शांतनु और सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य की दूसरी पत्नी अम्बिका से धृतराष्ट्र का जन्म हुआ। धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधे थे। उनका विवाह गांधार प्रदेश की राजकुमारी गांधारी से हुआ। उनके दुर्योधन सहित 100 पुत्र और एक पुत्री थी। युयुत्सु भी उनका ही पुत्र था, जो एक दासी से जन्मा था।
पांडु- शांतनु और सत्यवती के पुत्र विचित्रवीर्य की पहली पत्नी अम्बालिका से पांडु का जन्म हुआ। पांडु का विवाह कुंती और माद्री से हुआ। श्राप के चलते दोनों से ही उनको कोई पुत्र नहीं हुआ तब कुंती और माद्री ने मंत्रशक्ति के बल से देवताओं का आह्वान किया और 5 पुत्रों को जन्म दिया। कुंती ने विवाह पूर्व भी एक पुत्र को जन्म दिया था जिसका नाम कर्ण था। इस तरह दोनों के मिलाकर 6 पुत्र थे।
विदुर- महर्षि अंगिरा, राजा मनु के बाद विदुर ने ही राज्य और धर्म संबंधी अपने सुंदर विचारों से ख्याति प्राप्त की थी। अम्बिका और अम्बालिका को नियोग कराते देखकर उनकी एक दासी की भी इच्छा हुई। तब वेदव्यास ने उससे भी नियोग किया जिसके फलस्वरूप विदुर की उत्पत्ति हुई। विदुर धृतराष्ट्र के मंत्री किंतु न्यायप्रियता के कारण पांडवों के हितैषी थे। विदुर को उनके पूर्व जन्म का धर्मराज कहा जाता है। जीवन के अंतिम क्षणों में इन्होंने वनवास ग्रहण कर लिया तथा वन में ही इनकी मृत्यु हुई।