महँगाई या मूल्य वृद्धि सेआज समस्त ववश्व त्रस्त है। भारत बढ़ती महँगाई की चपेट मेंबुरी तरह सेजकड़ा हुआ है।जीवनोपयोगी वस्तुओंके दाम वदन-प्रवतवदन बढ़तेजा रहेहैं, वजससे आम आदमी को अत्यंत कविनाई का सामना करना पड़ रहा है। महँगाई सेदेश के आवथिक ढ़ाँचेपर अत्यविक दबाव पड़ रहा है। महँगाई के वनमिम चरण अनवरत रूप सेअग्रसर हैं, पता नही ंवेकब, कहाँरुकें गे। आज कोई भी वस्तुबाज़ार मेंसस्तेदामोंपर उपलब्ध नही ंहै। समाज का प्रत्येक वगिमहँगाई की मार को अनाहूत अवतवथ की तरह सहन कर रहा है। इसका सविग्राही प्रभाव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पर पड़ रहा है। सरकारी योजनाओं पर अत्यविक खचिहो रहा है। अपनेस्वाथिके वलए लोगों की िावमिक, सामावजक तथा नैवतक मान्यताएँपीछेछू ट जातीहैंऔर भ्रष्टाचार का बोल बाला हो जाता है। अथिशास्त्र की मान्यता है वक यवद वकसी वस्तुकी माँग उत्पादन सेअविक हो तो मूल्योंमेंस्वाभाववक रूप सेवृद्धि हो जाती है। विम्नवलखित में से विदेशािुसार सबसे उवित विकल्ोां का ियि कीवर्एः- 1. मूल्योंमेंवृद्धि का क्या कारण होता है? 1 (क) अविक उत्पादन (ख) कम उत्पादन (ग) वकसी वस्तुकी माँग उत्पादन सेअविक होना (घ) स्वाभाववक रूप सेवृद्धि
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ग ) किसी वस्तु की मांग उत्पादन से अधिक होना।
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