Social Sciences, asked by rahulgoyal615, 4 months ago

महाजनपदो की प्रमुख विशेषताओं की व्याख्या कीजि​

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Answered by pratyush15899
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महाजनपद की प्रमुख विशेषताएँ

  • महाजनपद का विकास 600 ई०पू० से 320 ई०पू० के बीच हुआ।

  • महाजनपद की संख्या 16 थी। इनमें से लगभग 12 राजतंत्रीय राज्य और 4 गणतंत्रीय राज्य थे।

  • महाजनपदों को प्रायः लोहे के बढ़ते प्रयोग और सिक्कों के विकास के साथ जोड़ा जाता है।

  • ज्यादातर महाजनपदों पर राजा का शासन होता था, लेकिन गण और संघ के नाम से प्रसिद्ध राज्यों में अनेक लोगों का समूह शासन करता था, इस तरह का प्रत्येक व्यक्ति राजा कहलाता था। महावीर और बुद्ध दोनों गण से आते थे।

  • गणराज्यों में भूमि सहित अन्य आर्थिक स्रोतों पर गण के राजाओं का सामूहिक नियंत्रण होता था।

  • प्रत्येक महाजनपद की एक राजधानी होती थी जो प्रायः किलेबंद होती थी। किलेबंद राजधानियों के रखरखाव, प्रारंभिक सेनाओं और नौकरशाहों के लिए आर्थिक स्रोत की ज़रूरत होती थी।

  • महाजनपदों में ब्राह्मणों ने लगभग छठी शताब्दी ईस्वी पूर्व से संस्कृत भाषा में धर्मशास्त्र नामक ग्रंथों की रचनाएँ शुरू कीं। अन्य लोगों के लिए नियमों का निर्धारण किया गया।

  • शासकों का काम किसानों, व्यापारियों और शिल्पकारों से कर तथा भेट वसूलना माना जाता था। संपत्ति जुटाने का एक वैध उपाय पड़ोसी राज्यों पर आक्रमण करके धन इकट्ठा करना भी माना जाता था।

  • धीरे-धीरे कुछ राज्यों ने अपनी स्थायी सेनाएँ और नौकरशाही तंत्र तैयार कर लिए। बाकी राज्य अब भी सहायक सेना पर निर्भर थे जिन्हें प्रायः कृषक वर्ग से नियुक्त किया जाता था।

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