इस कहानी को पढ़कर आपके मन में पहाड़ों पर स्त्री की स्थिति की क्या छवि बनती है? उस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
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यह प्रश्न आरोहण पाठ का है ,
इस कहानी को पढ़कर मेरे मन में पहाड़ों की स्त्रियों के लिए दयनीय छवि बनती है। पहाड़ों की स्त्रियां मेहनती तथा ईमानदार थी । वह अपनी मेहनत से पहाड़ों सभी कार्य करने की हिम्मत रखती थी । लेकिन पुरुष के हाथों हार जाती है। अपने पति के धोखे से हार जाती है। वह सब कुछ करने में सक्षम है लेकिन पुरुष से उसे इसके बदले धोखा ही मिलता है। सब कुछ करने के बाद भी उन्हें कोई इज्ज़त नहीं मिलती थी, उनका जीवन नरक जैसा था|
उन्हें मानसिक और शारीरिक कष्ट मिले। उनके पति उन्हें कभी भी उनके प्रति ईमानदार नहीं थे , तब मजबूर हो कर यह रास्ता अपना लेती थी और आत्महत्या कर लेती है |
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बूढ़े तिरलोक सिंह को पहाड़ पर चढ़ना जैसी नौकरी की बात सुनकर अजीब क्यों लगा?
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