Hindi, asked by DineshKumar1111, 1 year ago

महिलाओं के विरुद्ध बढ़ते अपराध पर फीचर।

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Answered by badal1437
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कब तक सहेंगी महिलाएं इस समाज में जुर्म? क्या इस देश में महिलाओं का कोई स्थान नहीं? क्यों आज की यह मॉडर्न पीढ़ी अपनी सोच नहीं बदलती? महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि महिलाएं इस सदी में महफूज नहीं हैं।

आए दिन महिलाओं पर होने वाले अपराधों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसमें सबसे ज्यादा मामले दुष्कर्म के हैं। आज से तीन साल पहले दिल्ली में हुए निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले ने भारत समेत पूरे दुनिया को झकझोर कर रख दिया था।

उस घटना के बाद जिस तरह देश एकजुट होकर न्याय के लिए खड़ा हो गया था, उस समय ऐसा लगा कि मानो देश से इस तरह के अपराध का खात्मा हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और रोजाना इस तरह के अपराधों में बढ़ोतरी ही दर्ज की गई।

ऐसे में यह लगता है कि इन अपराधों को रोकने का एक ही उपाय है कि हमें महिलाओं के प्रति अपनी सोच को बदलना होगा और उन्हें समाज में बराबर का हक मिलना चाहिए।

भारत जैसे देश में कहा जाता है कि 'जहां नारियों की इज्जत होती है, वहां भगवान का वास होता है'  फिर भी यहां पर महिलाओं पर अन्य किसी देश की तुलना में ज्यादा अपराध होता है।

समाज के कुछ मनचले ही दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम देने से बाज नहीं आते हैं। ऐसे लोगों को समाज द्वारा ही सजा देनी चाहिए, क्योंकि कानून से बचने के सारे उपायों को यह जानते हैं। और कानून का उनको कोई डर भी नहीं होता है।

हम और आप महिलाओं के बिना किसी समाज की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। वही समाज का एक मूलभूत अंग होती हैं तो हम यह सब क्यों भूल जाते हैं क्यों उन्हें इस तरह की प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है।

कई लोग, नेता और समाज के बुद्धजीवी लोग मानते हैं कि लड़कियों को जींस नहीं पहननी चाहिए, अकेले नहीं जाना चाहिए और जल्दी घर आ जाना चाहिए। इन्हीं कारणों से उनके साथ दुष्कर्म होता है। मैं पूछता हूं कि क्या लड़कियों इन सब की आजादी नहीं है? लड़कियों के साथ दुष्‍कर्म होना उनकी दैनिक दिनचर्या नहीं, बल्कि हमारी छोटी सोच इसके लिए जिम्मेदार है।

सिर्फ दुष्कर्म ही नहीं, बल्कि लिंगानुपात का घटना भी महिलाओं के लिए किसी अपराध से कम नहीं है। हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत देश के कई प्रमुख राज्यों में लिंगानुपात बहुत बड़ी समस्या है, इससे हम और आप यही कल्पना कर सकते हैं कि एक दिन भारत में महिलाओं की दयनीय स्थिति हो जाएगी।

प्रधानमंत्री द्वारा चलाए गए 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान' इस समस्या से निपटने में कारगर सिद्ध हो सकती है और हम सबको इसका समर्थन भी करना चाहिए।

महिलाओं पर होने वाले दुष्कर्म जैसे अपराध को रोकने के लिए अपनी और समाज की सोच को बदलना होगा और इस तरह के जुर्म को रोकने के लिए आरोपियों के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद करना होगा और राष्ट्रहित में महत्वपूर्ण कदम उठाना चाहिए।

Answered by chandresh126
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उत्तर:

भारत एक पारंपरिक पुरुष प्रधान देश है जहाँ महिलाओं को प्राचीन समय से ही समाज में विभिन्न हिंसा का सामना करना पड़ता है। जैसे-जैसे दुनिया तकनीकी सुधार, भौतिक समृद्धि की उन्नति आदि में अग्रणी है; महिलाओं के साथ अप्राकृतिक सेक्स और हिंसा की दर भी जारी है। बलात्कार और नृशंस हत्याएं अब आम हो चुकी हैं। अन्य हिंसाएं उत्पीड़न, हमला और चेन-स्नैचिंग जैसी हैं, आदि आधुनिक भारतीय समाज में दैनिक दिनचर्या में शामिल हैं। मुक्त भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा काफी हद तक बढ़ गई है। दहेज हत्या, हत्या, दुल्हन जलाना, आदि समाज में अन्य हिंसा को जन्म दे रहे हैं। महिलाओं के खिलाफ हिंसा में वृद्धि, देश में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रगति में बाधा है।

समाज में दहेज प्रथा की निरंतर प्रथा यह साबित करती है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा कभी खत्म नहीं हो सकती। यह हिंसा के कई आयामों को कवर करने वाली एक जटिल घटना है। यह समाज में युवा लड़कियों की स्थिति को कम करता है और साथ ही उनकी गरिमा को कम करता है। शादी के समय, अगर कोई दुल्हन अपने साथ पर्याप्त दहेज नहीं लाती है, तो वह वास्तव में शादी के बाद होने वाले दुर्व्यवहार के उच्च जोखिम में होगी। हजारों लड़कियां रोजाना इस सामाजिक शैतान का शिकार बनती हैं।

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