महामारी और पर्यावरण का संबंध
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मनुष्य इस पृथ्वी पर रहने वाला एकमात्र ऐसा जीव है जो की पृथ्वी के तमाम संसाधनों का बेतरतीब तरीके से दोहन करता है. एक वक्त ऐसा था जब इस पृथ्वी पर इंसान तो थे लेकिन वे एकदम सीमित संख्य़ा और स्थान पर निवास करते थे जिसके कारण पृथ्वी का समन्वय बना हुआ था परन्तु समय के साथ खेती की खोज हुयी और मनुष्यों ने एक स्थान पर रहना शुरू कर दिया और उद्योगों आदि की स्थापना की. विभिन्न धातुओं के खोज के साथ ही मनुष्य की महत्वाकांक्षा बढती चली गयी और मनुष्यों ने पृथ्वी का दोहन शुरू किया. इसी दोहन के कारण मौसम के कई परिवर्तन आये जिसने हजारों बीमारियों को जन्म दिया इन्ही बीमारियों ने महामारी का रूप ले लिया. उद्योगीकरण और वैश्वीकरण ने खाद्य से लेकर जल तक को अशुद्ध कर दिया जिसने बीमारियों को निमंत्रण देने का कार्य किया.
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