महान कवि बिहारी जी के बारे में बताइए
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✍️महान कवि बिहारी जी के बारे में बताइए
बिहारी का जन्म 1595 में ग्वालियर में हुआ था। जब बिहारी सात-आठ साल के ही थे तभी इनके पिता ओरछा चले आए जहाँ बिहारी ने आचार्य केशवदास से काव्य शिक्षा पाई। यहीं बिहारी रहीम के संपर्क में आए। बिहारी ने अपने जीवन के कुछ वर्ष जयपुर में भी बिताए। बिहारी रसिक जीव थे पर इनकी रसिकता नागरिक जीवन की रसिकता थी। उनका स्वभाव विनोदी और व्यंग्यप्रिय था। 1663 में इनका देहावसान हुआ। बिहारी की एक ही रचना 'सतसई' उपलब्ध जिसमें उनके लगभग 700 दोहे संगृहीत हैं। लोक ज्ञान और शास्त्र ज्ञान के साथ ही बिहारी का काव्य ज्ञान भी अच्छा था।
रीति का उन्हें भरपूर ज्ञान था। इन्होंने अधिक वर्ण्य सामग्री शृंगार से ली है। इनकी कविता शृंगार रस की है इसलिए नायक, नायिका या नायिकी की वे चेष्टाएँ जिन्हें हाव कहते हैं, इनमें पर्याप्त मात्रा में मिलती हैं। बिहारी की भाषा बहुत कुछ शुद्ध ब्रज है पर है वह साहित्यिक। इनकी भाषा में पूर्वी प्रयोग भी मिलते हैं। बुंदेलखंड में अधिक दिनों तक रहने के कारण बुंदेलखंडी शब्दों का प्रयोग मिलना भी स्वाभाविक है।
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Explanation:
बिहारी का जन्म 1595 में ग्वालियर में हुआ था। जब बिहारी सात-आठ साल के ही थे तभी इनके पिता ओरछा चले आए जहाँ बिहारी ने आचार्य केशवदास से काव्य शिक्षा पाई। यहीं बिहारी रहीम के संपर्क में आए। बिहारी ने अपने जीवन के कुछ वर्ष जयपुर में भी बिताए। बिहारी रसिक जीव थे पर इनकी रसिकता नागरिक जीवन की रसिकता थी। उनका स्वभाव विनोदी और व्यंग्यप्रिय था। 1663 में इनका देहावसान हुआ। बिहारी की एक ही रचना 'सतसई' उपलब्ध जिसमें उनके लगभग 700 दोहे संगृहीत हैं। लोक ज्ञान और शास्त्र ज्ञान के साथ ही बिहारी का काव्य ज्ञान भी अच्छा था।
रीति का उन्हें भरपूर ज्ञान था। इन्होंने अधिक वर्ण्य सामग्री शृंगार से ली है। इनकी कविता शृंगार रस की है इसलिए नायक, नायिका या नायिकी की वे चेष्टाएँ जिन्हें हाव कहते हैं, इनमें पर्याप्त मात्रा में मिलती हैं। बिहारी की भाषा बहुत कुछ शुद्ध ब्रज है पर है वह साहित्यिक। इनकी भाषा में पूर्वी प्रयोग भी मिलते हैं। बुंदेलखंड में अधिक दिनों तक रहने के कारण बुंदेलखंडी शब्दों का प्रयोग मिलना भी स्वाभाविक है।
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