महानगर का जीवन पर निबन्ध | Write an essay on Life in a City in Hindi
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“महानगरों का जीवन”
आज हम हर किसी के मन में यही ख्याल रहता है कि महानगरों में जीवन बहुत सरल है। लेकिन इसकी वास्तविकता इससे अलग है। आज शहरी इतनी विकसित हो चुके हैं की कोई किसी को जानता तक नहीं, शहरों में हम अपने पड़ोसियों से भी अनजान रहते हैं। वहां का जीवन व्यस्तता से भरा है वायु जल आकाश सब प्रदूषण से युक्त हैं। लेकिन फिर भी शहर की तरफ भागमभाग है।
पूरे शहर को लोहे ने अपनी जंजीरों में जकड़ रखा है। व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार कहीं आ जा भी नहीं सकता। वाहनों की संख्या कितनी है कि रास्तों पर चलना भी मुश्किल हो जाता है। गांव की खेतों से जो सब्जियां लाई जाती हैं वह शहर तक पहुंचते पहुंचते मुरझा जाती हैं और उनकी पौष्टिकता में भी कमी आ जाती है। शहर का जीवन एक सिकुड़ा हुआ जीवन है। हर जगह भीड़ ही भीड़ है।
यह ठीक है कि ग्रामीण जीवन की तुलना में शहरी जीवन अधिक आरामदायक है पर यह भी सत्य है कि ग्रामीण जीवन में जो मानसिक शांति प्राप्त है I वह शहरी जीवन में दूर-दूर तक दिखाई नहीं देती है। शहरों की व्यस्तता मनुष्य को थका डालती है। चिकित्सा सुविधाओं के होते हुए भी अधिकांश व्यक्ति बीमार से प्रतीत होते हैं।
आज शहरों को चारों तरफ से कंक्रीट और लोहे ने जकड़ रखा है जिसके दायरे से शहरी मनुष्य कभी बाहर नहीं निकल सकता है। गांव के लोग भी शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं। मगर शहर के लोग आज गांव की तरफ रुख कर रहे हैं। जीवन जीने के लिए सुविधाएं तो हैं पर स्वस्थ शरीर के लिए अब वैसा वातावरण नहीं रहा है।