History, asked by shaw21854, 7 hours ago

महाराष्ट्र के सामाजिक सुधार आंदोलन में ज्योति स्कूलों के योगदान उपदान थाने ज्योति केंद्र आम लोगों की सामाजिक गर्मियां की स्थापना के लिए पूरे के सामना किया​

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Answered by vivekishero
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Explanation:

सामाजिक सध

ार : जरियों की मज

ति प्रेम प्रभाि, सहायक प्राध्याऩक, इतिहास

शेरशाह कॉऱेि (वी॰के॰एस॰यू॰), सासाराम

उन्नीसवीॊ शताब्दी के याष्ट्रीम जागयण का प्रभुख प्रबाव साभाजजक सुधाय के ऺेत्र भें देखने को

मभरा। नवमशक्षऺत रोगों ने फढ़ – चढ़कय जड़ साभाजजक यीततमों औय ऩुयानी याजनीतत से ववद्रोह

ककमा । फुविववयोधी औय अभानवीमकायी साभाजजक व्मवहायों को औय सहने को तैमाय न थे ।

उनका ववद्रोह साभाजजक सभानता औय सबी व्मजततमों के सभान ऺभता के भानवतावादी आदशों

से प्रेरयत था ।

प्रमुख समाि सुधारक

सभाज - सुधाय के आॊदोरन भें रगबग सबी धभम - सुधायकों का मोगदान यहा। बायतीम सभाज

के वऩछड़ेऩन की तभाभ तनशातनमों जैसे मह जातत प्रथा मा जरत्रमों की असभानता को अतीत भें

धामभमक भान्मता प्राप्त यही है। साथ ही सोशर काॉफ्रें स, बायत सेवक सभाज जैसे कुछ अन्म

सॊगठन औय ईसाई मभशनरयमों ने बी सभाज - सुधाय के मरए जभ कय काभ ककमा। ज्मोततफा

गोववदॊ पूरे, गोऩार हरय देशभुख, जजरिस यानाडे, के॰ िी॰ तेरॊग, फी॰ डी॰ भाराफायी, डी॰ के ॰ कवे,

शमशऩद फनजॉ, वववऩन चॊद्र ऩार, वीयेशमरॊगभ, ई॰ वी॰ याभारवाभी नामकय औय बीभयाव अॊफेडकय

औय दसू ये प्रभुख व्मकक की बी एक प्रभुख बूमभका यही । फीसवीॊ सदी भें औय खासकय 1919 के

फाद याष्ट्रीम आॊदोरन सभाजसुधाय का प्रभुख प्रचायक फन गमा। जनता तक ऩहुॊचने के मरए

सुधायकों ने प्रचाय - कामम भें बायतीम बाषाओॊ का अधधकाधधक सहाया मरमा। उन्होंने अऩने

ववचायों को पै राने के मरए उऩन्मासों, नािको, काव्म, रघु कथाओॊ, प्रेस, औय 1930 के दशक भें

कपल्भों का बी उऩमोग ककमा।

समाि सुधार ऩजचिमी संरकृति व मूल्यों के साथ िाऱमेऱ बिठाने का निीिा

उन्नीसवीॊ शताब्दी भें कुछ भाभरों भें सभाज - सुधाय का कामम धभम - सुधाय से जुड़ा था, रेककन

फाद के वषों भें मह अधधकाधधक धभमतनयऩेऺ होता गमा । इसके अरावा रूढढ़वादी धामभमक

दृजष्ट्िकोण वारे अनेक व्मजततमों ने बी इसभें बाग मरमा। इसी तयह आयॊब भें सभाज - सुधाय

फहुत कुछ उच्च जाततमों के नवमशक्षऺत बायतीमों द्वाया अऩने साभाजजक व्मवहाय का आधुतनक

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