महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
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उत्तर :
महिसागर नदी के तट पर घनी अंधेरी रात में भी मेला था लगा हुआ था। नदी के दोनों किनारों पर लोगों के हाथों में टिमटिमाते दीये थे। वे लोग गांधीजी और अन्य सत्याग्रहियों की प्रतीक्षा कर रहे थे। जब गांधीजी नाव पर चढ़ने के लिए नाव तक पहुंचे तो महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और वल्लभ भाई पटेल की जय जय कार के नारे लगने लगे। थोड़ी देर में नारों की आवाज़ दूसरे किनारे से भी आने लगी। उस समय ऐसा लग रहा था मानो में नदी का किनारा न होकर होकर पहाड़ों की घाटी हो जहां से टकरा-कर आवाज़ वापस लौट आया करती है। आधी रात के समय नदी के दोनों किनारों पर हाथों में दिए लेकर खड़े लोग इस बात के प्रतीक है कि उनके मन में अपने देश को आज़ाद कराने की कितनी प्रबल इच्छा थी। नदी के दोनों किनारों पर खड़े लोगों के हाथों में टिमटिमाते दीये बहुत सुंदर लग रहे थे।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
Answer:
महिसागर नदी के दोनों ओर का रास्ता बड़ा ही दुर्गम था क्योंकि वहाँ कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता था। घुप्प अंधेरा छाया हुआ था। लेकिन लगभग हर व्यक्ति के हाथ में एक-एक दिया था जिससे झिलमिल रोशनी की कतारें नजर आ रहीं थीं। लगता था कि मार्च के महीने में ही नदी के दोनों किनारों पर दिवाली मनाई जा रही हो। उस रात के अंधेरे में भी हजारों लोगों के कोलाहल से उनका उत्साह साफ मालूम हो रहा था।
Explanation: