महासागर और हम पर essay in 500 words.......don't Google it......
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सागर में होनेवाली उथल-पुथल के फलस्वरूप ही पेरु देश की अर्थव्यवस्था समुद्री मत्स्य उद्योग और गेनू उर्वरक पर निर्भर हो गई है । पृथ्वी के 70.9 प्रतिशत भाग में फैले सागर ने मानव इतिहास को अत्यधिक प्रभावित किया है ।
इतिहास साक्षी है कि अगर मौके पर सागर में तूफान न उठा होता तो सोलहवीं शताब्दी में स्पेन के सम्राट फिलिप द्वितीय अंग्रेजी जहाजी बेड़े से इतनी बुरी तरह मात नहीं खाते । इसी तरह ब्रिटेन को नेपोलियन के प्रकोप से बचाने में सागर का बहुत बड़ा हाथ था ।
यूरोपवासी हजारों किलोमीटर दूर से आकर हमारे देश पर शासन न कर पाते अगर उन्होंने सागर को ‘वश में’ न कर लिया होता । सागर ने ही हमारे देश के दक्षिणी भाग के निवासियों को इतना साहसिक और उद्यमी बनाया कि वे- ”भारत से बाहर भी एक भारत” स्थापित कर सके ।
इस प्रकार सागर अनेक देशों के निवासियों के भाग्य को निर्धारित करता रहा है और अब भी कर रहा है । मनुष्य के लिए सागर के महत्व के दिनोंदिन बढ़ते जाने का एक प्रमुख कारण है मनुष्य की निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या और इस जनसंख्या-वृद्धि के फलस्वरूप उत्पन्न होनेवाले अन्य परिणाम ।
आज संसार की आबादी पाँच अरब से भी अधिक हो गई है । इतनी आबादी इतिहास में पहले कभी भी नही थी । फिर भी वह बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है । इसका एक दुःखद पहलू यह है कि यह वृद्धि उन देशों में अपेक्षाकृत अधिक है जिनके पास साधनों की कमी है ।
यद्यपि आबादी की वृद्धि-दर को कम करने के अनेक उपाय किए गए है पर उसमें बहुत कम सफलता हाथ लगी है । साथ ही बढ़ती हुई आबादी के लिए पर्याप्त अन्न पैदा करने में जी-तोड़ प्रयत्न किए गए पर सब केवल अस्थायी ही सिद्ध हुए है ।
इसी प्रकार कारखानों को समुचित मात्रा में उपयुक्त किस्म के कच्चे माल और पर्याप्त ऊर्जा उपलब्ध कराने में स्थायी रूप से सफलता नहीं मिल पा रही है । धीरे-धीरे जनसंख्या-वृद्धि का यह हाल होता जा रहा है कि कुछ दशक बाद शायद मनुष्य को पृथ्वी पर रहने की नही वरन् खड़े होने तक की जगह मिलनी कठिन हो जाएगी ।
इन समस्याओं को हल करने के लिए अंतत: हमें सागर की शरण में जाना पड़ेगा । अब तक मनुष्य अपनी निरंतर उग्रतर होती हुई समस्याओं का हल थल पर ही ढूँढता रहा है । पर थल की अपनी सीमाएँ हैं । वह इन समस्याओं का हल प्रदान करने में असमर्थ सिद्ध होता जा रहा है ।
इसलिए अब हमें सागर का आश्रय लेना ही होगा । आज हमें मालूम है कि सागर खाद्य और अन्य उत्पादों का बहुत बड़ा स्रोत है । सागरीय पर्यावरण जीव-जंतुओं के निवास के लिए थलीय और ताजा पानी के क्षेत्रों से लगभग तीन गुने से भी बड़ा है । वह खाद्य का अपार भंडार तो है ही, ऊर्जा का भी असीमित स्रोत है ।
यदि हम उसके पानी के विभिन्न स्तरों के तापांतरों का उपयोग बिजली बनाने के लिए कर सकें तो हमें बिजली की कमी कभी नहीं होगी । सागर से इतनी मात्रा में मैंगनीज, लोहा, निकेल, कोबाल्ट और ताँबे जैसी धातुएँ ही नही वरन् चाँदी, सोना, यूरेनियम और प्लेटिनम जैसी धातुएँ भी मिल सकती हैं कि हम शताब्दियों तक उन्हें बिना सोचे-समझे इस्तेमाल कर सकते हैं ।
सागर में पेट्रोलियम और गैस भंडारों की भी कमी नहीं है । उससे ओषधि निर्माण के लिए भी कच्चे मालों की अपार मात्रा प्राप्त की जा सकती है और सागर से मिल सकती है पानी की कभी समाप्त न होनेवाली मात्रा; यद्यपि उसके लिए हमें पानी के निर्लवणीकरण की सस्ती और बेहतर विधियाँ विकसित करनी होंगी ।
सागर की उपयोगिता के फलस्वरूप ही अधिकांश देशों के उन देशों के भी जो द्वीप-देश नही हैं, तटीय क्षेत्रों में अपेक्षाकृत अधिक लोग बसे हुए हैं । वास्तव में विश्व की अधिकांश आबादी सागर-तटों अथवा उनके निकट के क्षेत्रों में ही है । संयुक्त राज्य अमेरिका की कुल आबादी का 70 प्रतिशत भाग तटीय क्षेत्रों में है ।
हमारे देश में भी, जहाँ सागर से लोगों को अधिक प्रेम नहीं है और जहाँ अन्य अनेक देशों की तुलना में उसका बहुत कम उपयोग किया जा रहा है, तटीय क्षेत्रों में लगभग 20 करोड़ लोग रहते हैं । तटों पर बहुत बड़े-बड़े शहर और तीर्थ स्थित हैं ।
सागर 100 से अधिक देशों को छूता है और आज उसका महत्व पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है । वह देशों को आपस में जोड़नेवाली जलराशि ही नही रहा है वरन् उनके बीच संपर्कों और संघर्षों को उत्पन्न करने वाली भू-राजनीतिक कड़ी भी बन गया है ।
Explanation:
सागर में होनेवाली उथल-पुथल के फलस्वरूप ही पेरु देश की अर्थव्यवस्था समुद्री मत्स्य उद्योग और गेनू उर्वरक पर निर्भर हो गई है । पृथ्वी के 70.9 प्रतिशत भाग में फैले सागर ने मानव इतिहास को अत्यधिक प्रभावित किया है ।
इतिहास साक्षी है कि अगर मौके पर सागर में तूफान न उठा होता तो सोलहवीं शताब्दी में स्पेन के सम्राट फिलिप द्वितीय अंग्रेजी जहाजी बेड़े से इतनी बुरी तरह मात नहीं खाते । इसी तरह ब्रिटेन को नेपोलियन के प्रकोप से बचाने में सागर का बहुत बड़ा हाथ था ।