महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएँ हैं?
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उत्तर :
महासागरों से अपार ऊर्जा की प्राप्ति हो सकती है लेकिन हमेशा ऐसा संभव नहीं हो सकता क्योंकि महासागरों से ऊर्जा परिवर्तन की 3 विधियों - ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा
और सागरीय तापीय ऊर्जा की अपनी अपनी सीमाएं हैं।
१.ज्वारीय ऊर्जा (tidal energy):
ज्वारीय ऊर्जा की प्राप्ति सागर के किसी संकरे जगह पर पर बांध बनाकर किया जाता है। घूर्णन गति के कारण पृथ्वी पर चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण महासागरों में जल का स्तर बढ़ता और घटता रहता है। इसे ज्वार भाटा कहते है। ज्वार भाटा में जल के स्तर के चढ़ने तथा गिरने से हमें ज्वारीय ऊर्जा प्राप्त होती है। बांध पर स्थापित टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत में परिवर्तित कर देती है। सागर के किसी संकरे जगह पर बांध बनाने योग्य उचित स्थितियां सरलता से उपलब्ध नहीं होती।
२.तरंग ऊर्जा (wave energy) :
यह सागरीय लहरों से संबंधित ऊर्जा है। तरंग ऊर्जा का प्रयोग केवल वही हो सकता है जहां तरंगे अति शक्तिशाली हो। प्रतिदिन सागर की लहरें दो बार उठती गिरती हैं इससे तरंग ऊर्जा प्राप्त होती है। संसार भर में ऐसे जगह बहुत कम है जहां सागर के किनारों पर तंरगे इतनी शक्ति से टकराती हो कि उनकी ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सके।
३.सागरीय तापीय ऊर्जा (Ocean thermal energy) :
सागरीय तापीय ऊर्जा की प्राप्ति के लिए संयंत्र ओटीईसी(OTEC) तभी काम कर सकते हैं जब महासागर के तल पर जल का तापमान तथा 2 किलोमीटर तक की गहराई पर जल के तापमान में 20° C का फर्क हो। इस प्रकार विद्युत ऊर्जा प्राप्त हो सकती है पर यह प्रणाली बहुत महंगी है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।