Hindi, asked by duragpalsingh, 1 year ago

' महात्मा गांधी ' के बारे में 200 शब्दों में निबंद लिखो |

Write a Hindi essay on 'Mahatma Gandhi' in 200 words.

मुक्य बिंदु :

⭐ प्रारम्भिक जीवन

⭐ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए संघर्ष (१९१६ -१९४५)

⭐ स्वतंत्रता और भारत का विभाजन

Answers

Answered by AnubhavBhale
44
महात्मा गाँधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जिंदगी भर भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए संघर्ष किया । भारत का हर एक बच्चा उन्हें राष्ट्रपिता और  बापू के नाम से जानता है। महात्मा गाँधी का जन्म २ अक्टूबर १८६९ को गुजरात के पोरबंदर नगर में हुआ । उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था । उनकी माता का नाम पुतली बाई और पिता का नाम करमचंद गाँधी था । अपना प्रारंभिक अध्ययन भारत में पूर्ण करने के पश्चात् उन्होंने कानून की पढाई इंग्लैंड में पूर्ण की और वही अपने वकीली पेशे की शुरुवात की । उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया मगर कभी भी हार नहीं मानी । 

महात्मा गाँधी ने स्वतंत्रता संग्राम के लिए काफी संघर्ष किया । उन्होंने बहोत से अभियानों की शुरुवात की जैसे १९२० में असहयोग आंदोलन, १९३० में नगरी अवज्ञा अभियान और अंत में १९४२ में भारत छोड़ो आंदोलन उनके द्वारा किये गए ये सभी आंदोलन अंत में भारत को आजादी दिलाने में कारगर साबित हो ही गए । महात्मा गाँधी का जीवन काफी साधारण ही था । वे रंग भेद व् जाती भेद को नही मानते थे । उन्होंने अछूत प्रथा को मिटाने के लिए प्रयास किये । भारत की स्वतंत्रता के समय वे चाहते थे की हिंसा बिलकुल भी ना हो । वे चाहते थे की हिन्दू और मुस्लिम भाई भाई की तरह रहे और उनके मन से नफरत सदा के लिए समाप्त हो जाये । भारत के विभाजन के वक्त वो चाहते थे की अमन चैन और शांति रहे और हिंसा का प्रयोग बिलकुल भी न हो । गाँधी जी सारी उम्र सत्य और अहिंसा के पुजारी रहे। उनका जीवन प्रत्येक भारतीय के लिए एक प्रेरणा स्तोत्र है । 
Answered by rachanavyas
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गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था|  इनका जन्म पोरबंदर में सन २ ओक्टुबर १८६९ को हुआ था|
इनकी माता का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद था | इनके पिता काठियावाड़ की रियासत में दीवान थे |मात्र साढे १३ वर्ष की आयुं में इनका विवाह कस्तूरबाजी से कर दिया गया|
प्राथमिक शिक्षा इन्होंने  गुजरात में ही करी , बाद में यह वकालत की पढाई करने  लन्दन चले गए | वंहा पर इनका पाश्चात्य संस्कृति से साक्षात्कार हुआ , और इन्होंने उनके विरोधाभासों का भी अनुभव किया |
सन १८९३ में इनको साउथ अफ्रीका में एक कंपनी के काम के लिए जाना पड़ा | वंहा पर इन्होंने देखा भारतीयों के साथ विभिन्न प्रकार से भेदभाव किया जाता हैं और  उन्हे  सब अधिकार प्राप्त नहीं हैं |यही पर  इन्हे  प्रथम  श्रेणी के डिब्बे से  बाहर फेंक दिया गया  , इनके पास प्रथम श्रेणी का टिकट था , पर किसी भारतीय को  उसमे सफ़र करने की इजाज़त नहीं थी  | इन  घटनाओ ने इनके  जीवन पर  एक गहरा  प्रभाव डाला और संघर्ष के लिए इनको तैयार किया |
ये साधारण गृहस्थ थे| पर इनके भीतर संकल्प शक्ति अत्यंत मजबूत थी| इन्होने सत्य और अहिंसा को अपना परम धर्म माना और आजीवन इसका पालन किया| अपनी आत्मकथा में बहुत साफगोई से इन्होंने अपनी मानवीय कमजोरियां स्वीकार की| यही बात इन्हें असाधारण बनाती है| इन्होंने अपना पूरा  जीवन अति सादगी से व्यतीत किया| अल्प वस्त्र और साधारण भोजन से निर्वाह किया| इनके अनुयायी लाखों की संख्या में है| भारतीय स्वत्रंतता संग्राम इन्होंने अहिंसक तरीके से लड़ा| इनमें अभूतपूर्व नेतृत्व क्षमता थी| इन्हें महात्मा और राष्ट्रपिता की पदवी मिली हुई है जो इन्हें प्राप्त सम्मान की परिचायक है|पूरे विश्व में नागरिक अधिकारों के लिए जितने भी आन्दोलन हुए , उनकी प्रेरणा का स्रोत भी महात्मा गाँधी ही थे|मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला  और बराक ओबामा  ने उनके चरित्र को  अपने जीवन का आदर्श बनाया|इनके सत्य और अहिंसा के अनुभव जन मानस का मार्ग दर्शन लम्बे समय तक करते रहेंगे |
इनके इन आदर्शों की वजह से ही इन्हे महात्मा कहकर संबोधित किया जाता रहा |

गांधीजी के भरसक प्रयास करने के बावजूद  भारत का विभाजन हुआ , विभाजन के समय गांधीजी के प्रयासों कि वजह से भारत में रह रहे मुसलमानों का दंगोके समय काफी बचाव हुआ |  स्वतंत्रता तो आई पर हमनेगांधीजी को खो दिया |
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