Social Sciences, asked by deepulover9015, 9 months ago

महात्मा गांधी तथा हिटलर के विचारों में क्या समानता थी.​

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Answered by vishal20573
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द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हिंसा और अशांति के प्रतीक बनकर उभरे जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर तथा समूची दुनिया में शांति एवं अहिंसा का संदेश देने वाले महात्मा गांधी के वैचारिक द्वंद्व को जल्द ही प्रदर्शित होने जा रही फिल्म 'गांधी टू हिटलर' में अभिव्यक्त किया जाएगा।

बीसवीं सदी के सबसे बड़े नायक माने जाने वाले महात्मा गांधी तथा सबसे बड़े खलनायक माने जाने वाले हिटलर के बीच के वैचारिक संघर्ष को सिनेमा के पर्दे पर एक अंतराष्ट्रीय फिल्म के तौर पर लाया जा रहा है। इस फिल्म के अंतरराष्ट्रीय संस्करण 'डियर फ्रेंड हिटलर' को बर्लिन एवं कांस फिल्म समारोहों में स्क्रीनिंग के दौरान खूब वाहवाही मिली है। इसे फ्रांसीसी, जर्मन, अंग्रेजी, गुजराती और बंगाली जैसी आठ भाषाओं में डब करके प्रदर्शित करने की तैयारी भी चल रही है।

लेकिन हिन्दी में यह फिल्म 'गांधी टू हिटलर' के नाम से ही जून के अंत तक प्रदर्शित करने की योजना है। इस महत्वकांक्षी फिल्म के सह-निर्माता नलिनसिंह ने खास बातचीत में कहा कि बॉलीवुड फिल्मों की धारा के विपरीत जाकर उन्होंने इस फिल्म को विषय की अहमियत के कारण एक बड़े प्रोजेक्ट के तौर पर पेश करने की कोशिश की है।

उन्होंने कहा कि हिन्दी में बनने वाली यह पहली अंतरराष्ट्रीय फिल्म है। इसके अलावा हिटलर जैसी विदेशी शख्सियत को फिल्म के कथानक में प्रमुखता देने का भी यह हिन्दी फिल्मों में पहला प्रयास है। दिल्ली विश्वविदयालय के हिन्दू कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई करने वाले नलिन ने इस फिल्म की पटकथा भी लिखी है।

इस फिल्म में स्वयं एक अहम किरदार भी निभा रहे नलिन को पूरा यकीन है कि यह फिल्म समीक्षकों की प्रशंसा बटोरने के साथ ही आम दर्शकों की भी वाहवाही बटोरने में कामयाब रहेगी। उन्होने कहा कि इस तरह की फिल्में भारत में बहुत कम बनी हैं। इसमें गांधी और हिटलर के मूलभूत विचारों की टक्कर तथा आजाद हिंद फौज के जरिए दोनों विचारों में एक संबंध को दिखाने की कोशिश की गई है।

हालांकि उन्होंने यह साफ कर दिया कि इसमें हिटलर के हिंसा एवं अशांति को कहीं से भी महिमा मंडित करने की कोशिश नहीं की गई है। नलिन का मानना है कि महात्मा गांधी की शांति एवं अंहिसा की अवधारणा हिटलर की क्रूरता पर द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम दिनों में भारी पडी थी और यह बात आज भी उतनी ही सच है।

उन्होंने कहा कि गांधीजी ने अहिंसा का ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ सही तरीके से इस्तेमाल करके यह दिखा दिया कि अंहिसा सर्वाधिक कारगर हथियार है और इसमें किसी का खून भी नहीं बहता है। नलिन की इस फिल्म में सात गाने हैं, जिन्हें दलेर मेंहदी ने संगीतबद्ध किया है। फिल्म के कलाकारों में रघुबीर यादव, नेहा धूपिया और अमन वर्मा जैसे मंजे हुए अभिनेता भी शामिल हैं।

शोले, अग्निपथ, जब वी मेट और थ्री इडियट्स जैसे फिल्मों को पसंद करने वाले नलिन खुद भी इसी तरह की फिल्में बनाना चाहते हैं। अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए उन्होने 'गांधी टू हिटलर' फिल्म का निर्माण किया है। इसके बाद वे 'ट्रायल ऑफ सद्दाम हुसैन' शीर्षक से एक और फिल्म बनाना चाहते हैं, जो कि छात्र जीवन पर आधारित होगी। (वार्ता)

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