महादेवी वर्मा द्वारा लिखी हुई किसी भी कहानी को पढ़कर एक अनुछेद के रूप में उसे अपने शब्दों में व्यक्त करना है।
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महादेवी वर्मा की रचनाओं का संसार बड़ा ही व्यापक है. कविताएं उनकी लेखनी की प्रमुख विधा थी लेकिन इसके अलावे उन्होंने कई कहानियां, बाल साहित्य भी लिखे. उन्हें चित्रकला का भी शौक था और उन्होंने अपनी कई रचनाओं के लिए चित्र बनाए. 50 से अधिक वर्षों तक फैला उनका लेखनी संसार आज भी हिंदी साहित्य की पूंजी मानी जाती है. अपने अंतिम समय तक वह कुछ न कुछ रचती ही रहीं.
महादेवी वर्मा का साहित्य की दुनिया में पदार्पण की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. इसमें उनकी प्रिय सहेली और हिंदी साहित्य की एक और महत्वपूर्ण कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की भूमिका अति महत्वपूर्ण थी. इलाहाबाद में स्कूल के दिनों से ही महादेवी वर्मा लिखती थीं. लेकिन उनकी इस प्रतिभा का किसी को भान न था. उनकी सहपाठी और रूम मेट सुभद्रा कुमारी चौहान उन दिनों स्कूल में अपनी लेखनी के लिए प्रसिद्ध थीं. उन्होंने ही महादेवी वर्मा को चोरी-छुपे लिखते देख लिया था और सबको इसके बारे में बताया. सुभद्रा कुमारी चौहान महादेवी वर्मा को हमेशा उनकी लेखनी के लिए प्रशंसित करती थीं. कक्षा के बीच मिले समय में वे दोनों साथ बैठकर कविताएं लिखा करती थीं. इस तरह महादेवी वर्मा फिर सिद्धहस्त हो खुले रूप में लिखने लगीं.