महाविशुजी के दशावतार पर निबंध लिखिए|
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जब मानव अन्याय और अधर्म के दलदल में खो जाता है, तब भगवान विष्णु उसे सही रास्ता दिखाने हेतु अवतार ग्रहण करते हैं।हिंदु धार्मिक ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार, धरती पर बढ़ते पापों को खत्म करने के लिए भगवान खुद संसार में अवतार के रूप में प्रकट होते है| ऐसे प्रकट हुए दस जन्मों को दस अवतार माने गये हैं जिन्हें दशावतार कहते हैं।भागवत गीता में चौथे अध्याय के एक श्लोक में भगवान कृष्ण ने कहा है :
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
इसका मतलब है, हे जब-जब धर्म की हानि होने लगती है और अधर्म बढ़ने लगता है, तब-तब मैं स्वयं ही इस दुनिया में आता हूं, अर्थात् जन्म लेता हूं. मानव की रक्षा, दुष्टों के विनाश और धर्म की पुनःस्थापना के लिए मैं अलग-अलग युगों में अवतार स्वीकार करता हु|भगवान विष्णु के अनेक अवतार हुए हैं लेकिन उनमें 10 अवतार ऐसे हैं, जो प्रमुख रूप से स्थान पाते हैं।
1. मत्स्य अवतार :भगवान विष्णु ने सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए मत्स्यावतार लिया था। भगवान ने सत्यव्रत से कहा- मै मत्स्य के रूप में तुम्हारे पास आऊंगा।प्रलय काल में तुमारी रक्षा करूंगा|मत्स्यरूपधारी भगवान विष्णु ने राजा सत्यव्रत को तत्वज्ञान का उपदेश दिया, जो मत्स्यपुराण नाम से प्रसिद्ध है।
२.वराह अवतार :भगवान विष्णु ने दूसरा अवतार वराह रूप में लिया था। असुरराजा हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया तब ब्रह्मा की नाक से भगवान विष्णु वराह रूप में प्रकट हुए। और प्रुध्वी को पुनः स्थापित किये|
3.कूर्म अवतार : देव,दानव मिलकर अमृत केलिए समुद्र मंथन करने के लिए तैयार हो गए।मंदराचल को समुद्र में डालकर नागराज वासुकि को नेती बनाया। मगर मंदराचल के नीचे कोई आधार नहीं होने के कारण वह समुद्र में डूबने लगा। यह देखकर भगवान विष्णु विशाल कछुए का रूप धारण कर समुद्र में मंदराचल के आधार बन गए।
4.नृसिंह अवतार:असुरों का राजा हिरण्यकशिपु स्वयं को भगवान से भी अधिक बलवान मानता था।उसके पुत्र का नाम प्रह्लाद था। प्रह्लाद बचपन से ही भगवान विष्णु का परम भक्त था। कितना सम्खाने पर भी वह नहीं मानता था|तो हिरण्यकशिपु स्वयं प्रह्लाद को मारने केलिए तैयार हो जाता है| तब भगवान विष्णु नृसिंह का अवतार लेकर( याने की आधा मनुष्य और आधा सिंह ) खंबे से प्रकट हुए और उन्होंने अपने नाखूनों से हिरण्यकशिपु का वध कर दिया।
5.परशुराम अवतार : हरिवंशपुराण के अनुसार ये रेणुका और जमदग्नि मुनि के पुत्र के रूप जन्म लिए थे| उस समय महिष्मती नगरी हैययवंशी क्षत्रिय कार्तवीर्य अर्जुन(सहस्त्रबाहु) का शासन था।व घमंड से आश्रम से कामधेनु को लेके चला जाता है|इससे क्रोधित होकर ऋषि ने सहस्त्रबाहु को श्राप दिया कि भगवान विष्णु, परशुराम के रूप में जन्म लेंगे और न सिर्फ सहस्त्रबाहु का नहीं बल्कि समस्त क्षत्रियों का सर्वनाश करेंगे।इन्होने पिटे के आदेश से माँ रेणुका को मारकर फिरसे जीवित करते है|
6.वामन अवतार:इस बार भगवान हिस्नु एक ब्राह्मण बालक के रूप जन्म किये थे| भगवान वामन बलि की यज्ञशाला में गए और राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी।उसने तीन पग से तीनो लोकों को नाप लिया और बलि को पातळ तक दबा दिया|
7. श्रीराम अवतार :इस अवतार में भगवान विष्णु ने अनेक राक्षसों का वध किया और मर्यादा का पालन,एकपत्नी व्रत,और पित्रुवाक्य पालन आदि का पालन करते हुए अपना जीवन यापन किया।वनवा के समय राक्षसराज रावण उनक सीता जी का हरण कर लंका ले गया। वे दोनों भाई सीताजी की खोज में वानर सेना के साथ लंका पहुंचे, वहां भगवान श्रीराम और रावण का भयानक युद्ध हुआ था जिसमें रावण का विनाश हो गया।
8.श्रीकृष्ण अवतार :भगवान श्रीकृष्ण का जन्म आधी रात को कारागार में हुआ था। इनके पिता का नाम वसुदेव और माता का नाम देवकी था। मगर वे येशोदा मय्या के पास गोकुल में बड़े हुए|महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथि बने और दुनिया को गीता का ज्ञान दिया। भगवान विष्णु का ये अवतार सभी अवतारों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
9.बुद्ध अवतार :भगवान बुद्ध ,बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुध्द को ही नै अवतार माना जाता हैं| बौद्ध धर्म संसार के चार बड़े धर्मों में से एक है|एक राजा होकर भी उस जीवन को छोड़कर संसार को मोह-माया और दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग पर निकल गए थे|
10.कल्कि अवतार :,कल्कि अवतार भगवान विष्णु का आखरी अवतार माना जाता है| मानते है की यह 'कल्कि' अवतार कलियुग के अंत में होगा|
★ ★ यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे-युगे॥★ ★
अर्थात् जब-जब धर्म की हानि और अधर्म का उत्थान हो जाता है, तब-तब सज्जनों के परित्राण और दुष्टों के विनाश के लिए मैं विभिन्न युगों में (माया का आश्रय लेकर) उत्पन्न होता हूँ।
भगवान विष्णु के दस अवतार हैं :
| मत्स्य |
| कूर्म |
| वराह |
| नृसिंह|
| वामन |
| परशुराम |
| राम |
| कृष्ण |
| बुद्ध |
| कल्कि |
>>> पहले तीन अवतार, अर्थात् मत्स्य, कूर्म और वराह प्रथम महायुग में अवतीर्ण हुए। पहला महायुग सत्य युग या कृत युग है। नरसिंह, वामन, परशुराम और राम दूसरे अर्थात् त्रेतायुग में अवतरित हुए। कृष्ण और बलराम द्वापर युग में अवतरित हुए। इस समय चल रहा युग कलियुग है और भागवत पुराण की भविष्यवाणी के आधार पर इस युग के अंत में कल्कि अवतार होगा। इससे अन्याय और अनाचार का अंत होगा तथा न्याय का शासन होगा जिससे सत्य युग की फिर से स्थापना होगी।