Mahadevi ji ne gillu ke atirikt kaunse jiv pale the unke vishay mai vistaar se likhe
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महादेवी वर्मा जी ने गिलहरी के बच्चे के घावों पर पेन्सिलिन का मरहम लगाकर उसका प्राण बचाया। रहने के लिए झूला लगाकर उसे गिल्लू नाम के साथ सम्मानित किया। गिल्लू को खाने के लिए काजू तथा बिस्कुट दिया, थाली में से एक-एक चावल उठाकर खाने को सिखाया। अन्य गिलहरियों के साथ उछल-कूद करने के लिए अवसर दिया। गिल्लू के अंतिम दिनों में उसे बचाने की पूरी कोशीश भी की और उसकी मृत्यु के बाद समाधि भी बनायी गयी। इस प्रकार महादेवी वर्मा जी ने गिल्लू के प्रति अपनी ममता को दर्शाया है।
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