Hindi, asked by jawaidsaman2699, 1 year ago

mahayag kahani ke charitra chitran

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Answered by richa141
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महायज्ञ का पुरस्कार,यशपाल जी द्वारा लिखी गयी प्रसिद्ध कहानी है .इसमें उन्होंने एक काल्पनिक कथा का आश्रय लेकर परोपकार की शिक्षा पाठकों को दी है . एक धनी सेठ था . वह स्वभाव से अत्यंत विनर्म , उदार और धर्मपरायण व्यक्ति था .कोई साधू संत उसके द्वार से खाली वापस नहीं लौटता था . वह अत्यंत दानी था .जो भी उसके सामने हाथ फैलता था , उसे दान अवश्य मिलता था . उसकी पत्नी भी अत्यंत दयालु व परोपकारी थी . अकस्मात् दिन फिर और सेठ को गरीबी का मुख देखना पड़ा . नौबत ऐसी आ गयी की भूखों मरने की हालत हो गयी . उन दिनों एक प्रथा प्रचलित थी . यज्ञ के पुण्य का क्रय - विक्रय किया जाता था . सेठ - सेठानी ने निर्णय लिया किया की यज्ञ के फल को बेच कर कुछ धन प्राप्त किया जाय ताकि गरीबी कुछ गरीबी दूर हो .सेठ के यहाँ से दस - बारह कोस की दूरी पर कुन्दनपुर नाम का क़स्बा था . वहां एक धन्ना सेठ रहते थे
Answered by bhatiamona
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महायज्ञ  कहानी के चित्रा चित्रण :

महायज्ञ  कहानी यशपाल जी द्वारा लिखी गई है|  

उपयुक्त कहानी में दिखाया है कि निस्वार्थ भाव से किया गया कर्म ही सच्चा कर्म महायज्ञ होता है| निस्वार्थ भावना से लोगों की भलाई करनी चाहिए यही महायज्ञ है|

इस कहानी के मुख्य पात्र सेठ एवं सेठानी अपनी गरीबी को दूर करने के लिए यज्ञ के फल को बेचने के लिए विवश होना पड़ा अतः निस्वार्थ भाव से कर्म करना चाहिए और लोगों की भलाई कर्तव्य मानकर करना चाहिए|  

सेठ जी का चरित्र चित्रण:

सेठ जी का कहानी में प्रमुख पात्र है| वह अत्यंत धार्मिक व्यक्ति थे | वह इतने परोपकारी घर कोई बहु उनके घर से कहानी नहीं जाता था| वह दान करते थे वह किसी को भी जीव , प्राणी को दुःख नहीं करना चाहते थे | वह खुद न खा कर वह कुते को रोटियां खिलाते थे| वह सब भलाई करने को ही महायज्ञ कहते थे|

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