Hindi, asked by riteshsheoran1847, 1 year ago

mahayagya ka puraskar upsanhar in hindi

Answers

Answered by rudrakshalppel2lw
3

महायज्ञ का पुरस्कार - यशपाल जैन


एक धनी सेठ था बहुत ही उदार | वह बहुत से यज्ञ करता और खुले दिल से सबकी मदद करता और अपना धन दुखियों की सेवा में लगाता | जब उसके बुरे दिन आए वो गरीब हो गया और भूखे मरने की नौबत आ गयी | संगी साथियों ने भी मुह फेर लिया | उन दिनों यज्ञों का फल मिलता था | सेठानी ने उन्हें एक यज्ञ बेचने की सलाह दी | उनके नगर से दस बारह कोस दूर कुंदननगर में सेठ धन्नासेठ रहते थे और ऐसा माना जाता था की उनकी पत्नी को कोई दैवीय शक्ति प्रदान है जिससे वो तीनो लोकों की बात जान जाती थी | सेठ ने उन्हें यज्ञ बेचने का सोचा और सेठानी ने पड़ोस से आटा मांगकर चार मोटी रोटियां बांधकर उन्हें दे दिया | सुबह सुबह सेठ निकल गए और तेज चलने लगे जिससे जल्दी रास्ता कट जाए | दिन निकलने पर वह थक गए और विश्राम करने का सोचा | एक कुआं दिखा और वृक्षों का कुंज था | कुँए से पानी लेके खाने बैठे ही तो देखा निकट एक कुत्ता भूख से तड़प रहा था और सेठ की रोटी देख उसे उठने की भी ताकत न थी | सेठ को उस पर बड़ी दया आई और उन्होंने  उस कुत्ते को एक रोटी खिला दी | कुत्ते की आँखों में कृतज्ञता आ गयी | सेठ ने एक और रोटी खिला दी | कुत्ता खिसकता उनके समीप आ गया पर वो चल नहीं पा रहा था | सेठ ने एक और रोटी खिला दिया और कुत्ता तब भी उनकी ओर देख रहा था | उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने आखिरी रोटी भी उसे खिला दिया | स्वयं जल पीकर कुंदननगर चले गए | वहां के सेठ को बताया की वो अपना एक यज्ञ बेचने आए हैं | धन्नासेठ की पत्नी आयीं और बोली की उन्हें अपना महायज्ञ बेचना होगा | सेठ के आश्चर्यचकित होने पर सेठानी ने कहा की जो महायज्ञ उन्होंने आज किया | सेठ बोला उनकी स्तिथि यज्ञ करने की नहीं है | सेठानी ने फिर बात दोहराई तो सेठ को लगा की उन्हें यज्ञ नहीं खरीदना है तब सेठानी ने बताया की स्वयं न खाकर सारी रोटियाँ कुत्ते को खिलाकर उन्होंने महायज्ञ किया है | निस्वार्थ भाव से किसी की सेवा करना सच्चा यज्ञ है | सेठ ने कहा भूखे को खाना खिलाना कर्त्तव्य है कोई यज्ञ नहीं | सेठानी ने पूछा वो यज्ञ बेचेंगे या नहीं| सेठ को उस सेवा का मूल्य लेना सही न लगा और वो चुप चाप चल दिए| भूखे पेट रात बिता कर घर पहुंचे | उन्होंने पत्नी को सारी कहानी सुनाई | सेठानी को उनपर बड़ा गर्व हुआ की इस स्तिथि में भी उन्होंने उस कुत्ते की सेवा की | रात को जब सेठानी दिया जलाने आई तो उन्हें ठोकर लगी और तब उन्होंने देखा एक पत्थर उभर आया  है और उसके बीच एक कुंदा लगा है | सेठ ने उस कुंदे को खीचा तो नीचे जाने को सीढियां दिखी| दोनों नीचे उतरे और जोरो की प्रकाश थी वहां| वो एक बड़ा तहखाना था और जवाहरातों से भरा था | उन्हें एक अदृश्य आवाज सुनाई दी - उनका कुत्ते को रोटी खिलाना, स्वयं भूखे रहकर उस जीव की सेवा कर अपना कर्त्तव्य निभाया इस महायज्ञ का उन्हें इनाम है | सेठ और सेठानी ने भगवान के सामने अपना सर झुकाकर प्रणाम किया |


Hope it helps ,you make me brainliest

Answered by Anonymous
0

hope it helps!

#sumedhian ❤❤

Attachments:
Similar questions